Uttarakhand News 28 March 2024: Mumbai Girl Committed Suicide: मुंबई में 14 साल की किशोरी ने मासिक धर्म के दौरान होने वाले तकलीफों को झेलने के बजाए आत्महत्या कर ली। पुलिस की माने तो किशोरी को मासिक धर्म चक्र के बारे में गलत जानकारी थी। इस वजह से वह तनाव में थी और उसने यह आत्मघाती कदम उठा लिया।
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। मुंबई के मालवणी इलाके में एक नाबालिग लड़की ने कथित तौर पर खुदकुशी इसलिए कर ली, क्योंकि उसको मासिक धर्म चक्र के बारे में गलत जानकारी थी। इस वजह से वह तनाव में थी और उसने मात्र 14 साल की अवस्था में आत्मघाती कदम उठा लिया। घटना मंगलवार देर शाम की है। मलावणी पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं एक 14 साल की लड़की की ओर से अपने पहले मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्दनाक अनुभव और कथित तौर पर आत्महत्या करने की घटना से हर कोई स्तब्ध है।
मुंबई पुलिस के अनुसार, किशोरी अपने परिवार के साथ मालवणी के लक्ष्मी चॉल में रहती थी। मंगलवार शाम करीब पौने सात बजे उसने अपने घर में पंखे से दुपट्टे का फंदा लगाकर उस समय लटक गई जब उसके घर में कोई नहीं था। करीब 9 बजे जब किशोरी के रिश्तेदार और पड़ोसियों को घटना के बारे में पता चला। उन्होंने किशोरी को कांदिवली के शताब्दी अस्पताल में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया। बुधवार को किशोरी का पोस्टमॉर्टम कर शव को उसके परिजन को सौंप दिया गया।
14 साल की किशोरी की मौत महज इसलिए कि उसको मासिक धर्म के दौरान होने वाले तकलीफों को झेलने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर होना, इस बात का प्रमाण है कि आज भी हम बच्चों से खुलकर बात नहीं करते हैं। बढ़ रहे उनके उम्र के साथ हम करीब आने की बजाए दूर होते जा रहे हैं। हमें बच्चों के साथ उनको उनकी जिंदगी में छोड़ने और दूरियां बनाकर चलने की बजाए उनसे दोस्ती कर दोस्त की रहने पर ध्यान देना चाहिए। अगर किशोरी के माता पिता अथवा पड़ोसी या दोस्त उसके साथ मासिक धर्म चक्र में साथ दिए रहते। उसके शंकाओं को दूर कर दिए होते तो आज किशोरी जीवित होती और महज मासिक धर्म के कारण होने वाले दर्द के बारे में अनर्गल बातें सुनकर, समझकर खुदकुशी नहीं कर ली होती। बदलते वक्त के साथ साथ खुद को बदलते हुए हम सबको इस ओर ध्यान देना चाहिए।
पहला मासिक धर्म आने के बाद से तनाव में थी किशोरी
जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ के दौरान किशोरी के रिश्तेदारों ने कहा कि उसको हाल ही में पहली बार मासिक धर्म आया था। वह तेज दर्द से परेशान थी और इस दौरान हुए दर्दनाक अनुभव से वह हताश निराश रहा करती थी। इसे लेकर वह परेशान और मानसिक तनाव में भी थी। चूंकि किशोरियों में होने वाली यह आम बात है। इसलिए उसके परिजन ने उसके दुख दर्द को सीरियसली नहीं लिया। इसलिए संभावना जताई जा रही है कि किशोरी ने इसके चलते जान दे दी हो। हालांकि पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान कोई गड़बड़ी होने की बात सामने नहीं आई है। जोन 11 के डीसीपी आनंद भोईते के नेतृत्व में सीनियर पीआई चिमाजी आढ़व की टीम इस घटना की सभी पहलुओं से जांच करने में जुटी है।
कारखाना मालिक और सौतेली मां से होगी पूछताछ
सूत्र बताते हैं कि लड़की की सगी मां की मौत हो चुकी थी। वह सौतेली मां के साथ रह रही थी और किसी कारखाने में भी काम कर रही थी। सौतेली मां के बारे में आसपास के लोग बता रहे हैं कि वह मासिक धर्म के दौरान भी किशोरी से झाडू पोछा और अन्य काम करवा रही थी। साथ ही वह कारखाने में भी काम करने के लिए जाती थी। पुलिस सूत्र बताते हैं कि मालवणी पुलिस अब इस कारखाने के खिलाफ भी जांच करेगी जो कथित रूप से एक नाबालिग से काम करवाता था। साथ ही किशोरी की सौतेली मां, उसकी सहेलियां और आसपास के लोगों का भी बयान दर्ज कर इन तथ्यों की छानबीन करने में जुट गई है।
सोशल मीडिया को खंगालने में जुटी पुलिस
जांच से जुड़े एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि किशोरी के अवसाद और उसकी कार्य प्रणाली और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के बारे में और अधिक जानने के लिए उसके दोस्तों, करीबियों, उसके पारिवारिक डॉक्टर और पड़ोसियों के अलावा उसके अटाप्सी रिपोर्ट समेत अन्य मेडिकल रिपोर्ट की छानबीन करने में जुटी है। हालंकि, अटाप्सी रिपोर्ट आने में समय लगेगा लेकिन मासिक धर्म से संबंधित मेडिकल जांच रिपोर्ट के आने के बाद यह क्लियर होने की उम्मीद है कि किशोरी वाकई मासिक धर्म के कारण अवसाद में थी या इसके पीछे कोई और कारण है। यहां तक कि पुलिस की एक टीम किशोरी की हाल की ऑनलाइन गतिविधियों की छानबीन कर रही है जिससे पता चले की वह हाल फिलहाल में गुगल आदि पर किन चीजों के बारे में पता लगाने के उत्सुक थी।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मासिक धर्म के बारे में बात करना वर्जित नहीं होना चाहिए: एक्सपर्ट
मासिक धर्म के बारे में जागरूकता अभियान चलाने वाले एनजीओ म्यूज फाउंडेशन के सदस्य निशांत बंगेरा के अनुसार, 21वीं सदी में भी कई स्कूलों और कॉलेजों में मासिक धर्म आदि से संबधित विषयों को एजुकेशन में शामिल नहीं किया गया है। यहां तक कि हमारे परिवारों में मासिक धर्म के बारे में पूछना तक वर्जित है। यह सरकार, राज्य और समाज की गलती है जिसके कारण मासिक धर्म जैसी अहम जानकारी सामान्य पाठ्यक्रम से दूर है। मालवणी में किशोरी की मौत इस बात का प्रमाण है कि मासिक धर्म के प्रति लोकलाज, शर्म करने और इसके बारे में जागरूकता की कमी के कारण उसकी मौत हो गई। लोगों में। मासिक धर्म के बारे में जानकारी होनी चाहिए और जब हम सभी के साथ इस बारे में सामान्य रूप से बात करना शुरू करेंगे तभी बदलाव हो सकता है। इसमें सरकार और शिक्षा विभाग दोनों की अहम भूमिका होनी चाहिए।