उत्तराखंड/देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम का साल 2003 में अपने गठन के साथ ही घाटे से सीधा संबंध रहा है. स्थिति यह रही कि राज्य को उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद बसें तो मिली, लेकिन देनदारी में भागीदारी के साथ पहले साल ही निगम को करीब 10 करोड़ का घाटा हुआ. आज यह घाटा 22 सालों में करीब 500 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है. हालत ये हैं कि परिवहन निगम अपनी परिसंपत्तियों को चिन्हित कर अब बेचने की भी तैयारी में जुट गया है. इस बीच निगम के सामने सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली सरकार के उस पत्र को लेकर है, जिसमें अक्टूबर तक दिल्ली आने वाली बसों को बीएस 6 (BS 6) स्तर का होने की बात कही गई है.


उत्तराखंड परिवहन निगम के पास फिलहाल करीब 1271 बसे हैं। जबकि, देहरादून से दिल्ली के लिए करीब 250 बसें संचालित की जा रही है। अनुबंधित बसों को जोड़ लिया जाए तो राज्य के पास केवल 50 बसें ऐसी है, जो अपडेटेड तकनीक BS 6 की है। ऐसे में प्रदेश को अक्टूबर तक 200 बसों की जरूरत है. इसके लिए परिवहन निगम की तरफ से पिछले दिनों करीब 143 बसों का टेंडर भी जारी किया गया है, लेकिन मौजूदा स्थिति से यह लगता नहीं है कि अक्टूबर तक प्रदेश 200 बसों की व्यवस्था कर पाएगा. यानी दिल्ली सरकार ने अपने पत्र के अनुसार सख्ती की तो देहरादून से दिल्ली जाने वाले मुसाफिरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल परिवहन विभाग को वित्तीय वर्ष 2021-22 में करीब 74 करोड़ का घाटा लगा। उधर, इससे भी बड़ी चुनौती ये है कि करीब 500 करोड़ के घाटे में चल रहे परिवहन निगम अब 200 बस कैसे खरीदेगा। हाल ही में कांवड़ यात्रा के दौरान भी परिवहन निगम को करीब डेढ़ करोड़ का नुकसान हुआ था। कुल मिलाकर बात यह है कि बेहद खराब आर्थिक हालात में 200 बसों की व्यवस्था करना, परिवहन निगम के लिए लगभग नामुमकिन है।