वर्ष 2015 में में हुई 238 पुलिस उप निरीक्षकों यानी दरोगाओं की भर्ती के फर्जीवाड़े को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। शासन ने इस मामले में शुक्रवार को सतर्कता अधिष्ठान यानी विजीलेंस के निदेशक को अभियोग पंजीकृत करने की स्वीकृति दे दी है।
अपर सचिव ललित मोहन रयाल ने शुक्रवार को इस बारे में विजीलेंस के निदेशक को पत्र लिखकर कहा है कि शासन स्तर पर इस बारे में विजीलेंस के प्रस्ताव पर सहमति देते हुए दोषियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत करने का निर्णय लिया गया है।
पत्र में ही बताया गया है कि विजीलेंस के निदेशक ने इस मामले में शासन से भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 466, 467, 201 व 120बी तथा उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा-अनुचित साधनों की रोकथाम अधिनियम 1998 की धारा 3, 45, 7, 9 व 10 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1998, संशोधित 2018 की धार 7ए, 12, 13-1ए व 13-2 में अभियोग पंजीकृत किए जाने का अनुरोध किया था जिसकी स्वीकृति अब विजीलेंस को मिल गई है। इसके बाद इस मामले में आरोपित पुलिस दरोगाओं के नाम सामने और पूरे मामले की जांच होने के साथ उनकी नौकरी पर तलवार लटक गई है।