आज जोशीमठ प्रकृति की मार से कराह रहा है। लेकिन उसकी पीड़ा हरने की जरूरत किसी ने नहीं समझी। बर्फबारी के बाद यहां के हालात और ज्‍यादा खतरनाक हो गए हैं। कुछ क्षेत्रों में दरारें चौड़ी हो रही हैं। बदरीनाथ और मलारी हाईवे भी भूधंसाव की जद में आया है। इस पर भी तीन स्थानों पर दरारें चौड़ी हुई हैं।

बदरीनाथ हाईवे पर डाक बंगले के पास नई दरारें आई हैं। जोशीमठ-औली रोड भी कई स्थानों पर भी धंसी है। भूधंसाव के कारण जोशीमठ-औली रोपवे भी बंद कर दिया गया है। अब तक जोशीमठ से 334 प्रभावित परिवारों को विस्‍थापित किया जा चुका है। यहां अभी तक 863 भवनों पर दरारें आई हैं। वहीं असुरक्षित घोषित हो चुके दो होटलों समेत 20 भवनों की डिस्मेंटलिंग का काम जारी है।

क्यों धंस रहा जोशीमठ?

अपर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास डा आनंद श्रीवास्तव के अनुसार जोशीमठ शहर पुराने भूस्खलन क्षेत्र के पर बसा है। ऐसे क्षेत्रों में जल निस्तारण की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में भूमि में समाने वाले पानी के साथ मिट्टी अन्य पानी के साथ बह जाने से कई बार भूधंसाव की स्थिति उत्पन्न होती है। वर्तमान में जोशीमठ में भी ऐसा ही हो रहा है।

जोशीमठ में वर्ष 1970 से भूधंसाव हो रहा है। लेकिन फरवरी 2021 में धौलीगंगा में आई बाढ़ के कारण अलकनंदा नदी के तट पर कटाव के बाद यह भूधंसाव ज्यादा गंभीर हुआ। भूधंसाव व भूस्खलन के कारणों की तह में जाने और उपचार की संस्तुति करने के उद्देश्य से सरकार ने विशेषज्ञ दल का गठन किया था। इसमें उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी शामिल थे।

जोशीमठ के ऊपरी क्षेत्र के पहाड़ बर्फबारी के चलते ठोस रहते थे और इन्हें भूस्खलन से महफूज माना जाता था। लेकिन, जलवायु परिवर्तन के चलते इन क्षेत्रों में भी बारिश रिकार्ड की जा रही है। इससे ग्लेशियर या स्नो-कवर वाले क्षेत्र पीछे खिसक रहे हैं। बर्फ के कारण जो जमीन ठोस रहती थी, वह अब ढीली पड़ने लगी है। इसके चलते जामीन में भूस्खलन या धंसाव की स्थिति पैदा हो रही है। जोशीमठ क्षेत्र में बारीक मिट्टी है या फिर बड़े बोल्डर। अत्यधिक बारिश के चलते इनके खिसकने की गति भी बढ़ जाती है

अब क्‍या होगा जोशीमठ का भविष्‍य?

जोशीमठ का भविष्य अब आधा दर्जन एजेंसियों की जांच रिपोर्ट पर टिका है। जोशीमठ में भूधंसाव की दृष्टि से पहली बार जियो टेक्निकल, जियो फिजिकल व हाईड्रोलाजिकल समेत अन्य जांच कार्यों में ये एजेंसियां जुटी हुई हैं। इनकी जांच रिपोर्ट के आधार पर ही निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा और फिर इसके आधार पर जोशीमठ को बचाने अथवा पुनर्निर्माण के संबंध में कदम बढ़ाए जाएंगे।