Uttaranchal News, 1 February 2023: उत्तराखंड: Cracks In Uttarakhand: बद्रीनाथ धाम के रास्ते पर पड़ने वाले जोशीमठ का दरकना अभी बंद भी नहीं हुआ था कि उत्तराखंड के दूसरे दो अहम शहरों में जमीन का सीना फटने लगा है.

तस्वीरें बताती हैं कि चमोली के कर्णप्रयाग-रुद्रप्रयाग में भी इसी तरह की दरारे आनी शुरू हो गईं हैं. कर्णप्रयाग में, रुद्रप्रयाग के घरों में भी ऐसी दरारें साफ देखी जा सकती हैं.

विशेषज्ञों की मानें तो जमीन में इन दरारों की वजह ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन है.

ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के लिए बन रही रेल लाइन में इन पहाड़ों को खोखला करके टनल बनाई जा रही है, ताकि किसी भी मौसम में इन अंदरूनी इलाकों तक सैलानी भेजे जा सकें.

यही वजह है कि पहाड़ों ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है. इस तस्वीर में आपको उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के मरोदा गांव में एक घर का ढहा हुआ हिस्सा दिखेगा, जिसमें जमीन दरकने से मकानों को नुकसान पहुंचा है.

रिपोर्ट्स की मानें तो पौड़ी, बागेश्वर, उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग का भी यही हाल हो सकता है. इन जिलों के स्थानीय लोगों को जोशीमठ जैसे हालात का डर है.

मकानों में दरारों के बाद रुद्रप्रयाग-कर्णप्रयाग के भी घरों में दरारे आ गई हैं. दहशत में भरे लोग अपनी गृहस्थी के अहम सामान एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना शुरू कर दिए हैं.

टिहरी जिले के नरेंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र के अटाली गांव से होकर गुजरने वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन ने स्थानीय लोगों की काफी मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

अटाली के एक छोर पर भारी भूस्खलन के कारण दर्जनों मकानों में दरारें आ गई हैं, वहीं गांव के दूसरे छोर पर सुरंग में चल रहे ब्लास्टिंग के काम से भी घरों में काफी दरारें आ गईं, और स्थानीय लोगों का भी आरोप है कि इस रेलवे प्रोजेक्ट की वजह से उनके घरों में दरारे आ रही है, और सरकारें मूक दर्शक बनी हैं.

गांव के स्थानीय लोग अब अटाली गांव से अपने पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. अटाली के अलावा गूलर, व्यासी, कौडियाला और मलेथा गांव भी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन परियोजना से प्रभावित हैं. लोगों ने मांग की है कि सरकार को जल्द फैसला लेना होगा और मैन्युअली काम करना होगा ताकि उनके घरों को नुकसान न हो.