Uttarakhand News 05 July 2024: New Criminal Laws नए कानून में पुलिस के लिए चुनौती बढ़ गई हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती हर घटना की वीडियोग्राफी है। नाकेबंदी के दौरान यदि किसी व्यक्ति से अचानक नशे की सामग्री व शराब बरामद होती है तो इसकी वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी। यदि किसी घटना की वीडियोग्राफी नहीं होती तो पुलिस के लिए आरोपित का रिमांड लेना भी मुश्किल हो जाएगा।

New Criminal Laws: नए कानून में पुलिस के लिए चुनौती बढ़ गई हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती हर घटना की वीडियोग्राफी है। विवेचकों को अपने मोबाइल से वीडियोग्राफी करने के निर्देश जारी किए गए हैं, लेकिन इसमें सबसे बड़ा पेच नशे की सामग्री व शराब बरामदगी का फंस रहा है।

नाकेबंदी के दौरान यदि किसी व्यक्ति से अचानक नशे की सामग्री व शराब बरामद होती है तो इसकी वीडियोग्राफी करनी जरूरी होगी। वीडियोग्राफी में यदि आरोपित से नशे की सामग्री व शराब पकड़ी जाती है तो तभी उस मामले में कोर्ट में ट्रायल चल सकेगा। यदि किसी घटना की वीडियोग्राफी नहीं होती तो पुलिस के लिए आरोपित का रिमांड लेना भी मुश्किल हो जाएगा।

मोबाइल से वीडियो रिकार्डिंग नहीं की…
इसका एक बड़ा मामला हल्द्वानी में सामने आ चुका है। ऊधमसिंह नगर जिले के किच्छा के पुलभट्ठा में पुलिस ने एक आरोपित को चरस और दूसरे को तमंचे व कारतूस के साथ गिरफ्तार किया। दोनों आरोपितों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया।

पुलिस ने दोनों की रिमांड के लिए अर्जी दाखिल की, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसमें बताया गया कि पुलिस ने जब आरोपितों की तलाशी ली तो तब मोबाइल से वीडियो रिकार्डिंग नहीं की। जबकि, पूर्व में पुलिस दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत कोर्ट से आरोपित का रिमांड मांगती थी तो उस समय जीडी प्रस्तुत करती थी, जिसमें पूरा घटनाक्रम लिखित रूप में रहता था। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत तलाशी व जब्ती के समय वीडियो रिकार्डिंग करनी जरूरी होगी।

सैंपल रिपोर्ट समय पर आने से भी बढ़ेगी दिक्कतें
एनडीपीएस एक्ट के तहत पुलिस की ओर से आरोपित से बरामद नशे का सैंपल फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) भेजा जाता है। एफएसएल में पूरे प्रदेश से सैंपल आते हैं, वहां पहले ही जांच लंबित चल रही हैं। पुलिस को चार्जशीट 90 दिनों में लगानी होती है। वहीं, बरामदगी यदि व्यावसायिक मात्रा की है तो इसकी चार्जशीट छह माह में लगानी अनिवार्य है। इसके बाद कोर्ट में ट्रायल शुरू होता है। संबंधित केस में समय पर रिपोर्ट न मिलने के कारण समय पर न्याय में देरी होने की आशंका है।

फील्ड में एफएसएल की टीम ही तैनात नहीं
नए कानून के तहत फोरेंसिक साक्ष्य को अहम माना गया है, लेकिन फील्ड में कोई फोरेंसिक टीम नहीं है। फील्ड यूनिट को फोरेंसिक किट प्रदान की गई, लेकिन यूनिट को फील्ड ट्रेनिंग ही नही दी गई है।

कानून लागू करने के बाद विकसित किए जा रहे एप
विवेचक किसी भी केस को आसानी से निपटा सकें इसको लेकर ई-साक्ष्य व न्यायश्रुति एप केंद्र सरकार की ओर से विकसित किया जा रहा है। जबकि इन एप को कानून लागू करने से पहले किया जाना था। इससे काम करने में विवेचक को आसानी हो सके।

किसी भी घटना की वीडियोग्राफी विवेचक अपने मोबाइल से करेंगे। विवेचकों को मोबाइल पर आइओ एप डाउनलोड करने को कहा गया है। इस एप के बारे में सभी को प्रशिक्षण भी दिया गया है। वह मोबाइल एप से वीडियो सीसीटीएनएस में डालेंगे। जल्द ही इंडियन क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आइसीजेएस) शुरू होने जा रहा है, जिसके माध्यम से वीडियो कोर्ट के लिंक पर भी चला जाएगा।