Uttarakhand News 21 Feb 2025: तरक्की के मोर्चे पर उत्तराखंड की दौड़ अपने साथ अस्तित्व में झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य से तेज रही है। राज्य स्थापना के समय से लेकर 2023-24 तक राज्य की अर्थव्यवस्था की अर्थव्यवस्था के आकार में 21 गुना की बढ़ी। यह खुलासा विधानसभा के पटल पर बृहस्पतिवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की रिपोर्ट से हुआ है। संसदीय कार्य मंत्री ने सदन पटल पर यह रिपोर्ट रखी।
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने 2024-25 में राज्य की विकास दर 6.61 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। हालांकि 2023-26 के अनंतिम अनुमान 7.83 प्रतिशत बढ़ोतरी आंकी गई थी। लेकिन नौ नवंबर 2000 को बने बाकी दो राज्यों झारखंड और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के आकार से तुलना करने पर पता चलता है कि उत्तराखंड के विकास की रफ्तार उनसे ज्यादा तेज है। राज्य गठन के समय उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का आकार 15826 करोड़ था। 2011-12 में यह बढ़कर 115328 करोड़ हुआ और 2023-24 में यह 332998 करोड़ पहुंच गया। वर्तमान में इसके 3,78,245 करोड़ होने का अनुमान है। 23 वर्षों में में राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार 21 गुना हो गया। जबकि झारखंड की अर्थव्यवस्था में 13 गुना और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था में 17 गुना की वृद्धि हुई।
प्रतिव्यक्ति आय में भी दोनों राज्यों को पीछे छोड़ा
प्रतिव्यक्ति आय में भी उत्तराखंड ने झारखंड और छत्तीसगढ़ को पीछे छोड़ दिया। राज्य गठन के समय उत्तराखंड की प्रतिव्यक्ति आय 16232 रुपये थी, जो 2011-12 में 100314 रुपये हो गई और 2023-24 में यह 246178 रुपये तक पहुंच गई, जबकि छत्तीसगढ़ की प्रतिव्यक्ति राज्य गठन के समय 12170 रुपये थी, जो 2023-24 में 147361 तक पहुंची। राज्य गठन के समय झारखंड की प्रतिव्यक्ति 11034 थी, जो 20211-12 में 41254 और 2023-24 में 105274 हो पाई। 2024-25 में उत्तराखंड की प्रतिव्यक्ति 2,74,064 रुपये होने का अनुमान है।
तीनों राज्यों की अर्थव्यवस्था का आकार का तुलनात्मक ब्योरा (करोड़ में)
राज्य 2000-2001 2011-2012 2023-24
उत्तराखंड 15826 11538 332998
झारखंड 35069 150918 461010
छत्तीसगढ़ 29539 158074 505887
स्रोत: अर्थ एवं संख्या निदेशालय
खेती-बाड़ी पिछड़ी, पर्यटन सेवा क्षेत्र का विस्तार
आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों में प्राथमिक क्षेत्र पिछड़ रहा है और खेती, पशुपालन में कमी आ रही है। इस क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में योगदान महज 9.34 फीसदी तक रह गया है। इसके विपरीत तृतीय क्षेत्र आकार प्रचलित भाव पर 44.65 फीसदी तक पहुंच गया है। यानी परिवहन, भंडारण, संचार, व्यापार, होटल, जलपान गृह, वित्तीय सेवाएं, लोक प्रशासन यानी सेवा क्षेत्र ने विस्तार किया है। अर्थव्यवस्था में द्वितीय क्षेत्र का योगदान 46.02 फीसदी है। इस क्षेत्र में विनिर्माण का योगदान सबसे अधिक 58.56 प्रतिशत है, जबकि निर्माण क्षेत्र 34.32 फीसदी योगदान दे रहा है। बिजली, गैस और पेयजल आपूर्ति व अन्य यूटीलिटी सेवाओं का योगदान 7.12 फीसदी है।