Uttarakhand News 12 March 2025: 65 साल के बुजुर्ग को 35 सालों के लिए बीमा पॉलिसी देने का क्या औचित्य है? बीमा कंपनी क्या यह चाहती थी कि बुजुर्ग 100 साल की उम्र तक प्रीमियम ही भरते रहें। इस टिप्पणी के साथ राज्य उपभोक्ता आयोग ने एक बीमा कंपनी को उपभोक्ता कानून और व्यवहारिकता का सबक सिखाया है।
दरअसल, ऊधमसिंह नगर निवासी कृष्ण लाल अरोड़ा ने मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस से अगस्त 2007 में 65 की उम्र में बीमा पॉलिसी ली थी। पांच साल तक उसका मासिक प्रीमियम देकर सवा लाख रुपये जमा करवाए। 75 साल का होने पर उन्हें रुपयों की जरूरत पड़ी। उन्होंने पॉलिसी सरेंडर करके जमा रकम वापस मांगी तो दंग रह गए। कंपनी ने बीमा शर्तों के उल्लंघन के चलते 24 हजार रुपये लौटाने की बात कही। बीमा कंपनी ने कहा कि उपभोक्ता से 35 साल की पॉलिसी का करार हुआ था।
समय से पहले सरेंडर करने के चलते रकम काटी गई है। मामले में जिला आयोग ने 15 नवंबर 2018 को फैसले दिया कि बीमा कंपनी और उपभोक्ता आपसी संविदा की शर्तों से बंधे हैं, जिस वजह से जिला आयोग कोई आदेश पारित नहीं कर सकता। अब, राज्य उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष कुमकुम रानी और सदस्य चंद्रमोहन सिंह की पीठ ने बीमा कंपनी को सेवा में कोताही का दोषी ठहराते हुए जिला आयोग का फैसला रद्द कर दिया।
जिला आयोग ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी शिकायतकर्ता बुजुर्ग को सवा लाख रुपये शिकायत दर्ज करने की तिथि (8 मई 2018) से उसके वास्तविक प्राप्ति तक छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर और मुकदमेबाजी खर्च के 25 हजार रुपये भुगतान करेगी।