Uttarakhand News 18 April 2025: Live-in Relationship: समाज में रिश्तों के स्वरूप में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है। खासकर लिव-इन रिलेशनशिप का चलन तेजी से बढ़ रहा है। यह हम नहीं उत्तराखंड राज्य महिला आयोग के पास आ रही शिकायतें यह बता रही हैं।

पहले आयोग के पास महीने में एक से दो मामले आते थे, लेकिन अब सात से 10 मामले लिव-इन रिलेशनशिप के आ रहे हैं। ऐसे में आयोग भी चिंतित है। आयोग का कहना है कि अभिभावकों से बच्चे पढ़ने अथवा नौकरी के लिए दूर चले जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों पर नजर रखें।

आयोग का कहना है कि जीवन में सफलता के लिए समझदारी से फैसला लेना जरूरी है। पारंपरिक पारिवारिक ढांचे में आ रहे बदलाव और भावनात्मक सुरक्षा की तलाश में युवा इसी तरह के रिश्तों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। समाज में बदलाव को स्वीकारना जरूरी है। लेकिन, कानूनी और नैतिक पहलुओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता। युवाओं को चाहिए कि अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें इससे वह भटकेंगे नहीं।

ये मामले कर रहे तस्‍दीक
केस-1: पौड़ी निवासी युवती सेलाकुई क्षेत्र में एक फैक्ट्री में काम करती है। उसने बताया कि वर्ष 2021 में उसकी मुलाकात एक युवक से हुई। शादी का वादा करते हुए लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे। लेकिन जब शादी के लिए कहा तो पता चला कि युवक ने दूसरी जगह सगाई कर ली है। इसके बाद युवक ने साथ रहने से मना कर दिया।

केस-2: हरिद्वार निवासी महिला ने बताया कि पति से विच्छेदन होने के बाद हरिद्वार की एक कंपनी में काम करना शुरू किया। इसी दौरान एक युवक से मुलाकात हुई। युवक ने विवाह का प्रस्ताव रखा और दोनों एक वर्ष से साथ रहने लगे। जब विवाह की बात करनी चाही तो पता चला कि युवक पहले से ही शादीशुदा है। यह सब उसने पहले छिपाकर रखा और गुमराह किया।

केस-3: हल्द्वानी निवासी युवती ने बताया कि वह एक कालेज से कोर्स कर रही है। इस बीच साथ में रहने वाले युवक से पहले दोस्ती हुई। बाद में दोनों ने साथ रहकर एक दो वर्ष बाद विवाह करने की कसमें खाई। लेकिन अब युवक विवाह के लिए मुकर रहा है। युवती का कहना है कि जिस पर उसने पूरा भरोसा किया उसने भविष्य खराब कर दिया है।

लिव इन रिलेशन का पंजीकरण का प्रयास अच्छा
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल का कहना है कि लिव इन रिलेशन के मामले महीने में आठ से 10 तक आ जाते हैं। पिछले कुछ समय से इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है। आयोग ऐसे मामलों में काउंसिलिंग कराता है। उनका कहना है कि अब समान नागरिक संहिता के अंतर्गत लिव इन रिलेशन का पंजीकरण का प्रयास काफी अच्छा है।

इससे काेई भी युवती, महिला को नहीं बहकावे में नहीं ले सकता। यदि अपने साथ रखना चाहेगा को पंजीकरण कराना पड़ेगा। इससे मामलों में कमी भी आएगी। लेकिन फिर भी कई युवतियां व महिलाएं बिना सोचे समझे इस तरह प्यार के अंधेरे में चली जाती हैं। इसके लिए अभिभावकों की जिम्मेदारी काफी महत्वपूर्ण है। जिनके बच्चे पढ़ने के लिए अथवा नौकरी के लिए बाहर हैं तो उनपर ध्यान दें और उन्हें आज के दौर के बारे में अपनी ओर से भी समझाएं।

करते हैं काउंसिलिंग ताकि बेहतर रहे रिश्ता
आयोग के पास आ रहे मामलों में दोनों की अलग- अलग और फिर साथ में कुल तीन बार की काउंसिलिंग होती है। जिसमें उनकी बातों को सुना जाता है और कोशिश रहती है कि साथ रहें। लेकिन इसके बाद भी जहां पर मामला गंभीर दिखता है और लगता है कि आगे परेशानी कार्रवाई के लिए पुलिस को निर्देश देते हैं।