उत्तराखंड में युवाओं की नशे की लत बढ़ती जा रही है. वहीं अब राज्य सरकार युवाओं की नशे की लत छुड़ाने के लिए एक नई नीति का गठन किया गया है. इसलिए उत्तराखंड में नशा तस्करों पर कार्रवाई के लिए त्रिस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इनमें प्रदेश स्तरीय एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स, जिला स्तरीय एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स और थाना स्तर पर एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स शामिल हैं। इसके तहत राज्य में जो युवा ड्रग्स या नशे के सामान के साथ पकड़े जाएंगे. उन्हें जेल नहीं बल्कि नशा मुक्ति केन्द्र भेजेगी. ताकि वह हमेशा के लिए इस लत से दूर चले जाएं और समाज को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करेंगे. जानकारी के मुताबिक राज्य के गृह विभाग ने स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार किया है. जिसे जल्द ही शासन के सामने रखा जाएगा और मंजूरी मिलने के बाद उसे राज्य में लागू किया जाएगा.
डीजीपी से लेकर थाना प्रभारी तक को सौंपी गई जिम्मेदारी
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने बताया कि प्रदेश स्तर पर अपर पुलिस महानिदेशक व पुलिस महानिरीक्षक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) के अधीन एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक टास्क फोर्स के नोडल अधिकारी होंगे। जिला स्तर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के अधीन पुलिस अधीक्षक (अपराध) व पुलिस अधीक्षक (आपरेशन) नोडल अधिकारी होंगे। वहीं, थाना स्तर पर थाना प्रभारी नोडल अधिकारी होंगे।
नशामुक्ति केंद्रों के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित
एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स के लिए पुलिस विभाग में उपलब्ध कर्मचारियों में से ही चयन किया जाएगा। राज्य स्तर पर गठित एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स राज्य सरकार व एनसीबी की विभिन्न स्तरों पर होने वाली बैठकों में एनडीपीएस अधिनियम से संबंधित आंकड़ों व सूचनाओं सहित प्रतिभाग करेगी। यह टास्क फोर्स जिलों में स्थापित विभिन्न नशामुक्ति केंद्रों के प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित कर केंद्रों का नियमित रूप से निरीक्षण और नशा तस्करों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करेगी।
जानकारी के मुताबिक एनडीपीएस एक्ट के तहत ड्रग्स रखने के आरोप में गिरफ्तार युवाओं के पास जेल की जगह नशा मुक्ति केंद्र में रहने का विकल्प होगा. क्योंकि जानकारों का मानना है कि जेल जाकर युवा अपराध नहीं छोड़ पाते हैं और वहां जाकर वह नशे की लत से पीछा नहीं छुड़ा पाते हैं. लेकिन अगर युवाओं को नशा मुक्ति केन्द्र में रखा जाएगा तो इससे सकारात्मक प्रभाव आएगा और युवा इस लत से दूर जाएंगे. वहीं विभाग ने महिलाओं के लिए भी अलग प्रस्ताव रखा है. जिसके तहत महिलाओं को मुख्य जेलों से दूर दूसरी जेलों में रखा जाएगा.