Uttarakhand News, 28 April 2023: हरियाणा पुलिस ने दिल्ली से सटे ‘नए जामताड़ा’ यानी मेवात में साइबर ठगों पर बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने राजस्थान और यूपी के बॉर्डर से सटे मेवात (दिल्ली से 80 KM दूर) के 14 गांव में रेड की है. इस दौरान 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. इतना ही नहीं पुलिस ने साइबर ठगी में इस्तेमाल किए 2 लाख से ज्यादा मोबाइल नंबर को बंद करवाया है. इस रेड में गुरुग्राम के एसीपी साइबर की देख रेख में हुई इस रेड में 4 से 5000 पुलिसकर्मी शामिल थे.

दरअसल, दिल्ली से सटे इन इलाकों से देशभर में लगातार साइबर क्राइम की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था. हाल ही में केंद्र सरकार ने 9 राज्यों में जिन 32 साइबर क्राइम के हॉटस्पॉट बताए थे, उनमें मेवात, भिवानी, नूह, पलवल, मनोटा, हसनपुर, हथन गांव शामिल थे. 

इन 14 गांव में डाली गई रेड
लगातार मिल रहीं साइबर घटनाओं की शिकायतों के बाद भोंडसी पुलिस सेंटर में इन गांवों में रेड की रणनीति गोपनीय स्तर से बनाई गई. इसके बाद 102 टीमों ने 14 गांवों को घेरकर रेड डाली. मेवात के पुन्हाना ,पिंगवा, बिछौर, फिरोजपुर थानों के तहत आने वाले महू, तिरवड़ा, गोकलपुर, लुहिंगा कला, अमीनाबाद, नई, खेड़ला, गादौल, जेमन्त, गुलालता, जखोपुर, पापडा, मामलिका गावों में रेड डाली गई. इस दौरान 14 डीएसपी 6 एएसपी द्वारा 102 टीमें बनाई गई थीं. इन टीमों में करीब 4000-5000 पुलिसकर्मी थे. इतना ही नहीं इन सभी गांवों को चारों तरफ से घेरकर रेड डाली गई. 

अब तक झारखंड के जामताड़ा को ही साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता था.लेकिन हाल ही में सरकार ने बताया था कि देश के 9 राज्यों में तीन दर्जन से ज्यादा गांव और शहर ऐसे हैं जो साइबर क्राइम का गढ़ बन गए हैं. सरकार के मुताबिक, देश के 9 राज्यों- हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश में साइबर क्राइम के हॉटस्पॉट हैं.

कौन है जामताड़ा का मास्टरमाइंड? 

सीताराम मंडल को जामताड़ा का मास्टरमाइंड माना जाता था. वह 2010 में काम की तलाश में मुंबई गया था. वहां उसने रेलवे स्टेशन से लेकर सड़क किनारे लगने वाले ठेलों पर काम किया. बाद में उसकी जॉब कॉल सेंटर में लग गई और यहीं से उसकी जिंदगी बदल गई. 2012 में सीताराम मंडल जामताड़ा लौट आया. यहां आकर उसने साइबर ठगी करना शुरू किया. उसके ठगी करने का तरीका भी अलग था. वो सीरीज के हिसाब से मोबाइल नंबर बनाता था और कॉल करता था. फिर लोगों को अलग-अलग तरीकों से झांसे में लेकर डेबिट या क्रेडिट कार्ड का नंबर पूछता था और ओटीपी मांगता था. ओटीपी डालते ही लोगों के अकाउंट से पैसे उसके पास आ जाते थे.