Uttarakhand News 07 April 2025: सोशल मीडिया पर अपनों का फोटो जानकर डाउनलोड करना भी खाता खाली कर सकता है। साइबर ठगों ने ठगी का यह नया तरीका अपनाया है। ठग पहले एक फोटो सोशल मीडिया पर भेजकर उसे पहचानने के लिए कह रहे हैं। इसके बाद जैसे ही फोटो डाउनलोड किया जाता है तो फोन की कई परमिशन उनके पास चली जाती हैं। इसके बाद ठग बैंक खातों में सेंध लगाकर अपने खातों में धन ट्रांसफर कर लेते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इन ट्रांजेक्शन के एसएमएस आने में भी देरी हो जाती है। फोन का कंट्रोल वापस आने के बाद ही ठगी का पता लगता है। इस बीच ठग इस रकम को विभिन्न माध्यम से निकाल भी लेते हैं। अब लिंक बीते जमाने की बात हो रही है। साइबर ठग नए-नए तरीके लोगों को ठगने के इजाद कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है फोटो क्लेम। यह तरीका हाल ही में देश के कई हिस्सों में देखने को मिला है। इसमें किसी अमूक व्यक्ति के व्हाट्सएप पर एक फोटो भेजा जाता है। फोटो धुंधला यानी डाउनलोड नहीं होता है।
इसके बाद एक फोन आता है। फोन करने वाला व्यक्ति से इस फोटो पहचानने के लिए कहता है। इसमें कुछ भी बहाना बनाया जाता है। मसलन व्यक्ति घर से गायब है आपने कहीं देखा है क्या? यह आपका भाई है क्या अमुक स्थान पर पकड़ा गया है? ये इस तरह के सवाल होते हैं जिनसे इस फोटो को डाउनलोड करना व्यक्ति लाजिमी समझता है। जैसे ही डाउनलोड करने के लिए क्लिक किया जाता है तो एक फाइल डाउनलोड हो जाती है। इससे फोन के कई तरह के कंट्रोल साइबर ठगों के पास चले जाते हैं। मसलन, यूपीआई, बैंक एप्लीकेशन आदि। इनसे आने वाले एसएमएस भी साइबर ठगों के पास ही जाते हैं। इस तरह यूपीआई व अन्य माध्यम से ठग व्यक्ति के खाते से पैसा ट्रांसफर कर लेते हैं।
इसके बाद जब व्यक्ति को पता चलता है तब तक एटीएम मशीन से धन निकाल लिया जाता है या फिर इससे कुछ न कुछ ई-कॉमर्स वेबसाइट पर खरीद लिया जाता है। सीओ साइबर अंकुश मिश्रा ने बताया कि इस फोटो में एक लिंक होता है, जिससे व्यक्ति के मोबाइल में एक एपीके (एंड्रॉयड पैकेज किट) डाउनलोड हो जाती है। यह एक तरह की रिमोट एप्लीकेशन होती है। इससे फोन में मौजूद विभिन्न परमिशन रिमोट एक्सेस डिवाइस पर चले जाते हैं। ट्रांजेक्शन के एसएमएस तक एक्सेस डिवाइस (ठगों के मोबाइल) पर जाते हैं। ऐसे में लोगों को पता नहीं चलता। बाद में जब खाता खाली हो जाता है तब उन्हें ठगी का एहसास होता है।
पिछले साल शादी के निमंत्रण जैसा है तरीका
पिछले साल शादियों के सीजन में साइबर ठगों ने शादी का कार्ड भेजकर इस तरह की ठगी को अंजाम दिया था। शादी के कार्ड के नीचे एक छोटा सा लिंक दिया होता था। यह एपीके फाइल का लिंक होता था। इसे क्लिक करते ही फोन के सारे कंट्रोल साइबर ठगों के हाथ में चले जाते हैं। इसी तरह से यह फोटो क्लेम स्कैम भी चलाया जा रहा है। सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया कि फिलहाल यहां पर कोई मामला सामने नहीं आया है। लेकिन, सचेत रहने की आवश्कता है।
क्या होती है एपीके फाइल
यह एक थर्ड पार्टी ऐप के तौर पर इस्तेमाल या इंस्टॉल कराया जाता है। अगर आप प्ले स्टोर के बजाय किसी अन्य जगह से एपीके को डाउनलोड करके इंस्टॉल करते हैं तो आपके मोबाइल में वायरस और स्पैमिंग का खतरा बढ़ जाता है। क्योंकि यह कोई नहीं जानता कि उस एप्लीकेशन को किस लिए बनाया गया है।
कैसे करता है काम
एपीके लिंक पर क्लिक करते ही एक फाइल को डाउनलोड हो जाती है। यह फोन में एक ऐप इंस्टॉल कर देती है। इससे साइबर अपराधियों को स्मार्टफोन तक पूरी पहुंच मिल जाती है। साइबर अपराधी इसके माध्यम से कांटेक्ट लिस्ट, बैंक खाता विवरण व अन्य जानकारियां चोरी कर सकते हैं। इसके माध्यम से ही तमाम मैसेज आदि भी लोगों को भेजे जाते हैं।