Uttarakhand News, 23 November 2022: अरब हमेशा से ही अपने अजीब नियम-कानून और खौफनाक सजाओं के लिए जाना जाता रहा है. माना जाता है कि यहां नियमों का काफी सख्ती से पालन किया जाता है. जुर्म करने वालों को सऊदी में बख्शा नहीं जाता. हालांकि, समय के साथ सऊदी अरब में भी चीजें बदली और सजाओं में थोड़ी रियायत देखने को मिली. लेकिन, अब एक बार फिर सऊदी में दी गई सख्त सजा की खबर सामने आ रही है, जिसे जनाकर आप हैरान रह जाएंगे|

सऊदी अरब ने दो साल के अंतराल के बाद ड्रग अपराधों के लिए 10 दिनों में 12 लोगों को मौत की सजा दे दी है। लेकिन सजा ऐसी कि सुनकर दिल दहल जाए। दरअसल, दुष्कर्म और नशीली दवाओं की तस्करी के आरोप में पकड़े गए 12 लोगों के सिर सरे आम तलवार से काट दिए गए। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी और इसमें तीन पाकिस्तानी, चार सीरियाई, दो जॉर्डन और तीन सउदी शामिल थे। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा पहले इस तरह की सजाओं को कम करने का वादा के बावजूद देश में इस तरह की क्रूरतम सजा दी जा रही है। एक रिकॉर्ड के मुताबिक केवल इस साल 132 लोगों को इस तरह की खौफनाक मौच दी गई है जो कि 2020 और 2021 के संयुक्त रूप से आए मामलों से भी अधिक है।

प्रिंस के वादे के बावजूद दी जा रही क्रूरतम सजा:
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में मोहम्मद बिन सलमान ने इस तरह की क्रूर सजा पर रोक लगाने की बात कही थी। प्रिंस ने केवल हत्या के मामले में मृत्युदंड देने की बात कही थी। अहिंसा वाले मामले यानी चोरी, डकैती, तस्करी जैसे मामलों में मौत की सजा हटाने की बात कही थी। इसके बाद साल 2020 में भी सऊदी अरब द्वारा जमाल खशोगी की हत्या के बाद मौत की सजा को समाप्त करने के लिए कानून में बदलाव के प्रस्ताव के बाद अहिंसक अपराध पर नरमी के और संकेत मिले थे। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। सऊदी अधिकारियों ने बड़ी संख्या में और गुप्त रूप से ड्रग अपराधियों को फिर से सिर तन से जुदा वाली सजा दे रहे हैं।

इस साल मार्च में सऊदी ने 81 लोगों को मौत की सजा दी:
ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक, इस साल मार्च में, सऊदी अधिकारियों ने एक दिन में 81 लोगों को मौत की सजा दी थी। मारे गए लोगों की संख्या 1979 में मक्का में ग्रैंड मस्जिद को जब्त करने के लिए दोषी ठहराए गए 63 आतंकवादियों के जनवरी 1980 के सामूहिक फांसी के टोल को भी पार कर गई। यह राज्य और इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल को लक्षित करने के लिए सबसे खराब आतंकवादी हमला था।