Uttarakhand News 10 Nov 2023: Dhanteras 2023 Puja Timing Shubh Muhurat For Shopping: आज यानी 10 नवंबर को धनतेरस का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज से ही दीपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। धनतेरस के दिन सोने,चांदी के आभूषण और धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा है। कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर 2023 दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 11 नवंबर की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर होगा। धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में होती है, इसलिए धनतेरस 10 नवंबर यानी आज ही मनाई जा रही है।

Dhanteras 2023 Puja Timing Shubh Muhurat For Shopping: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है और धनतेरस से दिवाली का पांच दिनों का पर्व शुरु हो जाता है। आज यानी 10 नवंबर को देश भर में पूरे उत्साह के साथ धनतेरस का त्यौहार मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान हाथों में सोने के कलश के साथ प्रगट हुए थे। आज के दिन किसी भी वस्तु की खरीदारी के लिए उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है। यही वजह है कि लोग इस दिन बर्तनों की खरीदारी के अलावा सोने-चांदी की चीजें भी खरीदते हैं। धनतेरस पर आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस की शाम को घरों में दीए जलाए जाते हैं। धनतेरस के दिन शुभ खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है।

धनतेरस से जुड़ी कथाएं:
धनतेरस से जुड़ी कई कथाएं हैं जिनसे पता चलता है कि दीपावली से पहले धनतेरस क्यों मनाया जाता है। इन्हीं कथाओं के अनुसार मन जाता है कि धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वन्तरि हाथों में स्वर्ण कलश लेकर समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए। धन्वन्तरि ने कलश में भरे हुए अमृत से देवताओं को पिलाकर अमर बना दिया। धन्वन्तरि के जन्म के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई इसलिए दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

आज धनत्रयोदशी है। इसे हम धनतेरस के नाम से भी जानते हैं। आज से ही पांच दिनों तक चलने वाला दीपोत्सव पर्व आरंभ हो चुका है। धनतेरस दिवाली का पहला दिन होता है। इसके बाद छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी,बड़ी दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस पर बर्तन और सोने-चांदी के आभूषण की खरीदारी की जाती है। इसके अलावा धनतेरस की शाम को यम दीपदान किया जाता है।

धनतेरस पर बन रहा है शुभ योग:
इस बार धनतेरस तिथि पर प्रीति योग बन रहा है। इस योग का निर्माण शाम 5:06 बजे के बाद होगा और रातभर रहेगा। अतः इस योग में पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

त्रयोदशी तिथि:
आज यानी 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से त्रयोदशी तिथि शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 11 नवंबर की दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर होगा। धनतेरस के दिन पूजा प्रदोष काल में होती है, इसलिए धनतेरस 10 नवंबर यानी आज ही मनाई जा रही है।

श्री हरि विष्णु और शुक्राचार्य से धनतेरस का संबंध
धनतेरस से जुड़ी एक दूसरी कथा है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन देवताओं के शुभ कार्य में बाधा डालने पर भगवान विष्णु ने असुरों के गुरू शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया। वामन भगवान द्वारा मांगी गयी तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमण्डल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमण्डल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए। तब भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। इसके बाद राजा बलि ने संकल्प लेकर तीन पग भूमि दान कर दिया। इस तरह बलि के भय से देवताओं को मुक्ति मिल गई और बलि ने जो धन-संपत्ति देवताओं से छीन ली थी उससे कई गुणा धन-संपत्ति देवताओं को फिर से प्राप्त हो । इस इस कारण से भी धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।

धनतेरस के दिन बर्तन और चांदी से बने आभूषण की खरीदारी करना शुभ
आज धनतेरस के दिन बर्तन और चांदी से बने आभूषण की खरीदारी करना शुभ माना जाता है आइए जानते है इसके पीछे की वजह। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान धनवंतरि जब सागर मंथन से निकले थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। मान्यता के अनुसार तभी से धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। ऐसा माना जाता है इस दिन वस्तु खरीदने पर वह 13 गुने की वृद्धि होती है। पुरानों की मानें तो भगवान धनवंतरि ने ही आयुर्वेद और शल्य चिकित्सा की खोज की थी जिसके चलते उन्हें पीतल की धातु पसंद है इसलिए धनतेरस पर बर्तन खरीदा जाता है। इस दिन चांदी के बर्तन खरीदने से यश और पराक्रम में वृद्धि होती है।