Uttarakhand news, 15 अक्टूबर 2022- हाईकोर्ट नैनीताल ने उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय के सौ से अधिक कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगा दी है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने पूर्व प्रमुख सचिव डीके कोटिया की अध्यक्षता में बनाई समिति की सिफारिशों के आधार पर इन कर्मचारियों की बर्खास्तगी का निर्णय लिया था।
यह सब तदर्थ कर्मचारी हैं। बीते दिवस कोर्ट में इन कर्मचारियों की बर्खास्तगी को लेकर सुनवाई शुरू हुई थी, जो आज शनिवार को भी जारी रही। न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने इन कर्मचारियों को सुनवाई का मौका नहीं देने पर नाराजगी जताई थी और विधानसभा से इस बिंदु पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।
कोर्ट में विधानसभा सचिवालय का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता विजय भट्ट ने कहा कि हटाए गए लोगों की नियुक्ति बैकडोर से हुई। जिसमें मानकों का पालन नहीं हुआ। साथ ही इन्हें काम चलाऊ व्यवस्था के आधार पर रखा गया था। इसी व्यवस्था के आधार पर ही इन्हें नियमानुसार हटाया गया है। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता देवीदत्त कामत, अवतार सिंह रावत व रविन्द्र बिष्ट ने कोर्ट को अवगत कराया कि विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा लोकहित को देखते हुए कर्मियों की सेवाएं समाप्त कर दी। बर्खास्तगी आदेश में उन्हें किस आधार पर व किस कारण हटाया गया कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया। न ही कर्मचारियों का पक्ष हटाने से पहले सुना गया। जबकि हटाए गए कर्मचारी सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य कर रहे थे। एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नहीं है।
इस तरह एक के बाद एक घोटाले होते रहे उजागरगौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था।