पिथौरागढ़: उत्तराखण्ड में भले ही अब मानसून की पकड़ कमजोर हो गई हों और बीते दिनों से लगातार जारी बारिश से आम जनमानस को राहत मिल गई हों परन्तु राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में तबाही का मंजर अभी भी जारी है। भारी बारिश से कमजोर हो चुके पहाड़ चटक धूप पड़ते ही दरकने लगे हैं। ऐसी ही एक खबर आज राज्य के सीमांत जिले पिथौरागढ़ से सामने आ रही है जहां चीन सीमा को जोड़ने वाली तवाघाट-लिपुलेख सड़क पर लखनपुर और नजंग के बीच पहाड़ी दरकने से भूस्खलन हुआ है। इस कारण सड़क यातायात के लिए फिर बंद हो गई है और चीन सीमा के निकटवर्ती गांवों का शेष जगत से संपर्क कट गया है। चीन सीमा को जोड़ने वाली यह सड़क पिछले दिनों मलघाट में भूस्खलन के कारण बंद हो गई थी। भूस्खलन के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई। हालांकि किसी प्रकार के जान-माल का नुकसान नहीं हुआ।
भूस्खलन की वजह से तवाघाट लिपुलेख राजमार्ग यातायात के लिए पूरी तरह बंद हो गया है. सड़क बंद होने की वजह से स्थानीय लोगों के साथ ही 40 यात्री बूंदी में फंस गए हैं.
बारह दिन बाद बुधवार देर शाम इस सड़क पर यातायात सुचारु हो सका था। दो दिन बाद शुक्रवार दोपहर बाद चार बजे लखनपुर और नजंग के बीच तम्पा मंदिर के पास अचानक पहाड़ी दरक गई।
पहाड़ी जैसे ही खिसकी पूरा क्षेत्र धूल के गुबार से भर गया और सड़क फिर बंद हो गई। मौके पर मौजूद लोगों ने भागकर जान बचाई। सड़क बंद होने से व्यास घाटी के सात गांवों का संपर्क कट गया है।
प्राइवेट टूर ऑपरेटर के माध्यम से आदि कैलाश यात्रा पर गए 50 यात्री बुंदी में फंस गए हैं। इस सड़क के एक बार फिर बंद होने से सीमांत के लोगों के साथ ही सीमा चौकियों में तैनात जवानों और पर्यटकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। सड़क के जल्दी खुलने की संभावना नहीं है।