Uttarakhand News उत्तराखंड, 13 अक्टूबर 2022: उत्तराखंड सरकार ने भर्ती घोटालों की जांच के बीच उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के नए अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी है। रिटायर्ड आईपीएस गणेश सिंह मर्तोलिया (Retired IPS officer GS Martolia) को UKSSSC के नए अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। शासन ने इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है।

दरअसल, स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा का पेपर लीक होने के मामले में विवाद के बाद उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग चर्चाओं में है, इस कड़ी में आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने पेपर लीक मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पहले ही इस्तीफा दे दिया था. तभी से आयोग में अध्यक्ष का पद खाली चल रहा है. ऐसे में अब सरकार ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष पद को लेकर फैसला करते हुए रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी गणेश सिंह मार्तोलिया को अध्यक्ष पद की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है.

अब पूर्व आईपीएस गणेश मार्तोलिया को आयोग का नया अध्यक्ष बनाया गया है। मार्तोलिया बेहद ईमानदार छवि और कड़क मिजाज के अधिकारियों में गिने जाते हैं। उनके हाथ ऐसे समय में आयोग की कमान मिली है, जब तमाम भर्ती घोटालों को लेकर UKSSSC चर्चाओं में है।

बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग इन दिनों विभिन्न परीक्षाओं में गड़बड़ी को लेकर विवादों में है. जिसको लेकर एसटीएफ के साथ ही विजिलेंस भी विभिन्न मामलों पर जांच कर रही है. हालांकि स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता रिक्शा में पेपर लीक मामले के सामने आने के बाद से ही आयोग सवालों के घेरे में दिखाई दे रहा था. ऐसे में जहां मामला बढ़ने के बाद आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड आईएएस एस राजू ने इस्तीफा दे दिया था. वही, आयोग के सचिव संतोष बडोनी को सरकार ने सस्पेंड कर दिया था. इसके बाद सचिव पद पर सुरेंद्र सिंह रावत को जिम्मेदारी दी गई थी.

विवादों में UKSSSC: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग द्वार 2017 से 2021 तक आयोजित परीक्षाओं में सबसे ज्यादा विवाद और गड़बड़ियों में एलटी पेपर, वन दरोगा भर्ती, ग्राम विकास अधिकारी, 2021 स्नातक स्तर की परीक्षा रही. जिसमें ग्राम विकास अधिकारी, सुपरवाइजर, असिस्टेंट मैनेजर, पंचायत अधिकारी, डाटा एंट्री जैसे 854 पदों वाली भर्ती सबसे ज्यादा विवादों में रही. हालांकि, इन गड़बड़ियों वाली परीक्षाओं के विषय में मुकदमा दर्ज कर कई लोगों को जेल भेजा जा चुका है, मगर अभी तक आयोग से संबंधित किसी बड़े कर्मचारी या इस तरह के मामलों के मास्टरमाइंड पर शिकंजा नहीं कसा गया है.