खटीमा की मूल निवासी प्रीति को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे सरकारी अस्पताल लेकर गए। जहां पर चिकित्सकों ने एनेस्थेटिक डॉक्टर की अनुपस्थिति में उसे ऑपरेशन के लिए हल्द्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर कर दिया। सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचने पर उसे भर्ती तो कर लिया गया। लेकिन रात में धोखे से डिस्चार्ज पेपर पर साइन कराकर जाने को कह दिया।
प्रीति के पति मनोज ने डॉक्टरों के आगे गुहार लगाई मगर उसकी एक ना सुनी गई। बाद में मजबूर होकर मनोज आधी रात को प्रीति को लेकर राजकीय महिला अस्पताल पहुंचा तो प्रीति के प्रसव पीड़ा बहुत तेज हो गई। मनोज ने सुशीला तिवारी अस्पताल में प्रसूता का चेकअप होने की बात स्टाफ को बताई तो उन्होंने प्रीति को भर्ती करने से मना कर दिया। मजबूरन प्रीति ने महिला अस्पताल के गेट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया।
हालांकि जच्चा बच्चा दोनों अब भी स्वस्थ हैं। मगर इस मामले की जानकारी स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को मिली तो उन्होंने दौरान पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए सचिव स्वास्थ्य राधिका झा को तीन दिन में मामले की जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए। जिसके बाद स्वास्थ्य महानिदेशक ने राजकीय महिला अस्पताल हल्द्वानी में नर्सिंग अधिकारी दीप्ति रानी को निलंबित किया। इसके अलावा डॉक्टर दिशा बिष्ट को निलंबित करने की बात भी चल रही है।