Uttarakhand News, 8 दिसंबर 2022: केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को सवाल किया कि सिर्फ लड़कियों और महिलाओं को ही रात में बाहर निकलने पर पाबंदी क्यों है। साथ ही, राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा कि उन्हें भी लड़कों और पुरुषों के समान आजादी मिलनी चाहिए। न्यायमूर्ति दीवान रामचंद्रन ने कहा कि रात से डरने की जरूरत नहीं है और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अंधेरा होने के बाद हर किसी का बाहर निकलना सुरक्षित रहे। कोझीकोड मेडिकल कॉलेज की पांच छात्राओं की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की। याचिका के जरिये 2019 के उस सरकारी आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें रात साढ़े नौ बजे के बाद उच्चतर शिक्षण संस्थानों के छात्रावास में रहने वाली लड़कियों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी। अदालत ने विषय की सुनवाई के दौरान सवाल किया कि सिर्फ महिलाएं या लड़कियों को ही नियंत्रित करने की जरूरत क्यों है, लड़कों और पुरुषों को क्यों नहीं. साथ ही, मेडिकल कॉलेज के छात्रावासों में रहने वाली लड़कियों के लिए रात साढ़े नौ बजे के बाद बाहर निकलने पर पाबंदी क्यों लगा दी गई|

लड़कियों को भी इसी समाज में रहना है- हाई कोर्ट:
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘लड़कियों को भी इस समाज में रहना है. क्या रात साढ़े नौ बजे के बाद बड़ा संकट आ जाएगा? सरकार का दायित्व परिसर (कैम्पस) को सुरक्षित रखना है.’’ अदालत ने सवाल किया कि क्या राज्य में ऐसा कोई छात्रावास है जहां लड़कों के बाहर निकलने पर पाबंदी है. अदालत ने यह भी कहा कि समस्याएं पुरूष पैदा करते हैं, जिन्हें बंद कर रखा जाना चाहिए. न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने यह भी कहा कि कुछ लोगों का कहना है कि वह पाबंदियों पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि उनकी बेटियां नहीं हैं. न्यायाधीश ने कहा कि उनकी कुछ रिश्तेदार महिलाएं हैं और दिल्ली में छात्रावास में रहती हैं. वे पढ़ाई करती हैं और इस तरह की पाबंदियां वहां नहीं हैं. अदालत ने कहा, ‘‘हमें रात से नहीं डरना चाहिए. लड़कों को दी गई आजादी लड़कियों को भी दी जानी चाहिए.’’

अदालत ने कहा कि वह महिलाओं और लड़कियों के माता-पिता की चिंताओं को ध्यान में रख रही है, लेकिन साथ ही राज्य में कुछ अन्य छात्रावास भी हैं, जहां पाबंदियां नहीं है। अदालत ने पूछा कि क्या वहां रहने वाले बच्चों के माता-पिता नहीं हैं? अदालत ने यह भी कहा कि अगर माता-पिता लड़कियों या महिलाओं को रात में बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं तो वह सरकार को दोष नहीं देगी।अदालत ने कहा कि हमें रात से नहीं डरना चाहिए। जो आजादी लड़कों को दी गई है, वह लड़कियों को भी दी जानी चाहिए।

महिला याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया है कि 2019 के सरकारी आदेश को केवल उनके छात्रावास में लागू किया जा रहा है, पुरुषों के छात्रावास में नहीं। उन्होंने अदालत से मेडिकल कॉलेज को यह निर्देश देने की भी मांग की है कि उन्हें न्याय, निष्पक्षता और अच्छे विवेक के हित में बिना किसी समय प्रतिबंध के रीडिंग रूम या स्टडी हॉल, कैंपस से जुड़े पुस्तकालय और फिटनेस सेंटर तक पहुंचने की अनुमति दी जाए।