Uttarakhand News, उत्तराखंड, 22 अक्टूबर 2022: हिमालय के पिंडारी ग्लेशियर यात्रा मार्ग में पड़ने वाले बुग्यालों में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से पिघल रहे हैं, जो कि काफी चिंताजनक है. खासकर जलवायु परिवर्तन के चलते ग्लेशियरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. उत्तराखंड में करीब 23 ग्लेशियर मौजूद हैं. जो धरती को जीवन देने वाली नदियों के उद्गम स्थल हैं, लेकिन मौसम की मार इन पर भी पड़ रही है. अब ब्लैक कार्बन का अटैक इन पर भी होने लगा है. जिसे लेकर वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं. वैश्विक तापमान की बढ़ोतरी के चलते विश्व प्रसिद्ध पिंडारी ग्लेशियर पिछले 40 वर्षों में करीब 700 मीटर पीछे खिसक गया है। पिंडारी यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले बुग्यालों में भी लगातार भूस्खलन हो रहा है। पर्यावरणविदों ने इस पर चिंता जाहिर की है। ग्लेशियर का हिमक्षेत्र कम होता जा रहा है, जिसका असर बुग्यालों पर भी पड़ रहा है। पिंडारी ग्लेशियर यात्रा मार्ग में पड़ने वाले बुग्यालों में पिछले कुछ वर्षों में भूस्खलन बढ़ रहा है। द्वाली में बने लोक निर्माण विभाग और कुमाऊं मंडल विकास निगम के विश्राम गृह के समीप भी भूस्खलन हो रहा है। मखमली घास के लिए पहचाने जाने वाले बुग्याल रोखड़ में बदल रहे हैं। ग्लेशियरों के पिघलने और बुग्यालों में बढ़ रहे भूस्खलन भविष्य में किसी बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं।

पिंडारी ग्लेशियर यात्रा मार्ग में बुग्यालों में बढ़ रहा भूस्खलन चिंताजनक है। वन विभाग की टीम के साथ क्षेत्र का मुआयना कर रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के आधार पर बुग्याल संरक्षण का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जाएगा।