Uttarakhand News, NEW-EDUCATION-POLICY-IN-UTTARAKHAND, 17 अक्टूबर 2022: नेशनल एजुकेशन पालिसी :- 21वीं सदी के 20 वे साल में भारत में नई शिक्षा नीति आई है। भारत में सर्वप्रथम 1968 में नई शिक्षा नीति बनाई गई थी उसके बाद 1986 में बनाई गई जिसके बाद नई शिक्षा नीति को 1992 में संशोधित किया गया। लगभग 34 साल बाद 2020 में पुनः नई शिक्षा नीति को लेकर अहम बदलाव किए गए हैं। जिसमे शिक्षा सम्बन्धित बहुत से नियमों में बदलाव किया गया है। वही हाल ही में मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय ने शिक्षा नीति में बदलाव के साथ साथ अपने मंत्रालय का नाम भी बदल दिया है, मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय को अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।
उच्च शिक्षा विभाग ने भी इस पर अमल कर एक और अहम कदम उठा दिया है। उन्होंने कहा कि अभी उत्तराखंड में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक हर स्तर पर 35 लाख छात्रों को पढ़ाने की क्षमता है, इसे 2025 तक 40 लाख किए जाने की जरूरत है। इसी तरह स्कूली शिक्षा में भी अगले साल तक तीन वर्ष की आयु पूरी करने वाले हर बच्चे को बाल वाटिका में प्रवेश दिए जाने का प्रयास किया जाना है।
इस साल प्रवेश भी नई नीति के तहत-धामी
इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सांस्कृतिक आत्मसम्मान के साथ आत्मनिर्भर युवाओं पर जोर दिया गया है। इसमें मातृभाषाओं में पढ़ाई पर फोकस किया गया है, मेडिकल की पढ़ाई तक हिंदी में कराई जा रही है। उत्तराखंड में इसे हर स्तर पर लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी सत्र से सभी विश्वविद्यालयों में लागू हो रही है। इस साल के प्रवेश भी नई नीति के प्रावधानों के तहत किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि वेद, उपनिषद, पुराण लिखने वालों ने उत्तराखंड से ही चिंतन-मनन किया। उत्तराखंड के लोगों में पढ़ना व मेहनत करने का स्वाभाविक गुण है, इसलिए यहां के युवाओं को विश्व की आवश्यकता के लिए तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने मातृ भाषा में पढ़ाई पर जोर देते हुए कहा कि विश्व की कोई भी अर्थव्यवस्था अंग्रेजी भाषा आधारित नहीं है।