Uttarakhand News 16 February 2024: Cyber Crime in Uttarakhand आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आमजन के साथ पुलिस के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है। प्रदेश में एआई के माध्यम से ठगी के केस बढ़ते जा रहे हैं लेकिन पुलिस अभी ऐसे साइबर ठगों का पता लगाने में सक्षम नहीं है। वर्तमान में प्रदेश में वायस क्लोनिंग व फर्जी वीडियो के मामले ही सामने आए हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आमजन के साथ पुलिस के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है। प्रदेश में एआई के माध्यम से ठगी के केस बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन पुलिस अभी ऐसे साइबर ठगों का पता लगाने में सक्षम नहीं है। अधिकतर मामलों में साइबर ठग वाट्सएप से ही पीड़ितों को धमकाते हैं और मोटी धनराशि ठग लेते हैं।
वर्तमान में प्रदेश में वायस क्लोनिंग व फर्जी वीडियो के मामले ही सामने आए हैं। वायस क्लोनिंग में साइबर अपराधी किसी की भी आवाज क्लोन करके उसके स्वजन से बात करते हैं और उनके बेटे या रिश्तेदार के मुकदमे में फंसने की बात करके मोटी धनराशि ठग लेते हैं।
साइबर ठगों का शिकार बन रहे लोग
कई मामलों में स्वजन भी बिना जांच किए तत्काल साइबर ठगों के खाते में धनराशि ट्रांसफर कर रहे हैं। उन्हें सच्चाई का पता तब लगता है जब वह संबंधित व्यक्ति से बात करते हैं, जिनके नाम से ठगी की जाती है। इसी तरह ठग किसी सेलिब्रिटी का फर्जी वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर रहे हैं और विभिन्न स्कीमों में धनराशि लगाने की बात कह रहे हैं।
संदिग्ध फोन आने पर एक बार जरूर करें सत्यापन
एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि साइबर ठग वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) से संपर्क करते हैं, ऐसे में उन्हें ट्रैक करना काफी मुश्किल है। किसी भी संदिग्ध फोन या वाट्सएप से फोन आने पर जरूर सत्यापन कर लें। कई लोग बिना सत्यापन किए साइबर ठगों के खातों में धनराशि ट्रांसफर कर लेते हैं।
उत्तराखंड पुलिस को किया जा रहा तैयार
एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था एपी अंशुमान ने बताया कि एआई के माध्यम से ठगी कर रहे साइबर अपराधियों से निपटने के लिए उत्तराखंड पुलिस को तैयार किया जा रहा है। जल्द ही साइबर सेंटर आफ एक्सीलेंस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग लैब की स्थापना की जाएगी। साइबर थाने को शासन को प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।
टीम का किया गया गठन
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ के पर्यवेक्षण में पुलिस उपाधीक्षक व तकनीकी रूप से दक्ष कार्मिकों की अनुसंधान टीम का गठन किया जाए जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डार्क वेब आदि पर शोध करेगी।