Uttarakhand News, Nainital News, 28 अक्टूबर 2022: कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी के रानीबाग में स्थापित एचएमटी फैक्ट्री (Ranibagh HMT factory) की जमीन भारत सरकार ने उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित कर दी है। भारत सरकार ने एचएमटी की 45.33 एकड़ जमीन उत्तराखंड सरकार को दी है। इस संबंध में भारी उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार ने आदेश भी जारी कर दिया है। यह भूमि उत्तराखंड सरकार को 72 करोड़ 02 लाख 10 हजार रुपये की रिजर्व प्राइस पर हस्तांतरित की गई है।

सीएम ने पीएम से किया था अनुरोध: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से एचएमटी की भूमि को प्रदेश सरकार को हस्तांतरित करने के लिए अनुरोध किया था। साथ ही अगस्त में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय के साथ बैठक में भी इस बात को उठाया था। इस कवायद के बाद आज भारत सरकार ने एचएमटी की जमीन उत्तराखंड सरकार के हवाले कर दी।

सीएम ने ट्वीट कर जताया आभार: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर एचएमटी की भूमि उत्तराखंड सरकार को हस्तांतरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह डबल इंजन सरकार की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उत्तराखंड की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा किया गया है। यह मामला काफ़ी लंबे समय से लम्बित था। अब प्रदेश सरकार को भूमि हस्तांतरित हो गई है। इसका उपयोग प्रदेश के हित में और प्रदेश के विकास के लिए किया जाएगा।

इस उपयोग में लाई जा सकती है यह जमीन: एचएमटी फैक्ट्री रानीबाग में थी, जिस जमीन पर यह फैक्ट्री लगी थी, वहीं से पहाड़ व जंगल शुरू हो जाता है। इस भूमि के एक तरफ गौला नदी बहती है। यहां पर नए उद्यम के साथ ही पर्यटन से जुड़े काम शुरू किए जा सकते हैं।

  • नैनीताल में जाम की समस्या को देखते हुए वहां से कई कार्यालयो को ही स्थानांतरित करने की चर्चा उठती रही है। ऐसे में एचएमटी की यह जमीन इस काम में आ सकती है।
  • इसके अलावा हाई कोर्ट को भी हल्द्वानी शिफ्ट करने की मांग जोर से उठी है। इस भूमि पर बने भवन पर हाई कोर्ट भी खोला जा सकता है।
  • इसके अलावा आइटी सेक्टर से लेकर आधुनिक जरूरत के तमाम उद्योग स्थापित हो सकते हैं। इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलता, लेकिन इस लिहाज से भी नहीं सोचा गया।
  • यहां गरीबों के लिए आवास भी बनाए जा सकते हैं।

उत्तराखंड की शान थी एचएमटी फैक्ट्री

एचएमटी फैक्ट्री उत्तराखंड की शान समझी जाती थी। 91 एकड़ में फैली इस फैक्ट्री का शुभारंभ 1985 में हुआ था, मगर 2016 से यहां ताला लटक गया था। इसके बाद से ही फैक्ट्री व यहां बनी आवासीय कालोनियां खंडहर हो चुकी हैं। इस बीच कभी इस भूमि पर हाई कोर्ट शिफ्टिंग तो कभी केंद्रीय संस्थान बनाने की बातें भी उछाली गईं।

91 एकड़ में फैली थी कंपनी

रानीबाग की इस फैक्ट्री में 500 से अधिक मशीनें थीं। प्रतिवर्ष 20 लाख से अधिक घडिय़ां बनती थीं। प्रतिवर्ष 500 करोड़ का टर्नओवर था। अब यहां लगी मशीनें नीलाम हो चुकी हैं। राज्य सरकार व वन विभाग की जमीन वापस हो चुकी है। अब कंपनी की अपनी खरीदी हुई जमीन बची थी।

एचएमटी का इतिहास

  • 1982 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाधी के कार्यकाल में मिली थी मंजूरी।
  • तत्कालीन भारी उद्योग मंत्री स्व. एनडी तिवारी ने किया था शिलान्यास।
  • 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाधी ने किया था उद्घाटन।
  • 91 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है कंपनी का आवासीय परिसर।
  • कंपनी में कभी 1246 कर्मचारी रहे थे कार्यरत।
  • प्रतिवर्ष 20 लाख घड़ी उत्पादन की थी क्षमता।
  • 2016 में कंपनी बंदी के समय 512 कर्मचारी थे कार्यरत।
  • कंपनी में 366 कर्मचारियों ने लिया वीआरएस।
  • 146 कर्मियों ने वीआरएस नहीं लिया, इसमें पांच की मौत हो गई।