Uttarakhand News: वैसे तो पशुपालन के संबंध में भारत के कई कीर्तिमान है जैसे – भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, भारत विश्व का सातवां सबसे बड़ा ऊन उत्पादक देश है तथा भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है| परंतु हमारे देश में सड़कों पर घूमते आवारा पशुओं की समस्या भी एक आम बात है | चाहे वह कुत्ते हो या गोवंश भारत के हर गांव कस्बों में आपको आवारा घूमते हुए मिल जाएंगे| इसके कई कारण हैं जैसे आवारा जानवरों का मुख्य कारण परित्याग है जिसके बाद उनके बीच अनियंत्रित प्रजनन होता है, जिसके परिणामस्वरूप सड़क के जानवरों की अनेकों पीढ़िया बन जाती है जो और जनसंख्या को बढ़ाती है। समय की कमी के कारण लोग अपने पालतू जानवरों की ठीक से देखभाल देखभाल नही कर सकते है तथा पालतू जानवर का परित्याग कर देते है। आक्रामकता, चिकित्सा समस्याओं, पालतू जानवरों के स्वामित्व की लागत, प्रजनन में जटिलताओं,जीवन शैली में बदलाव के कारण स्वास्थ्य जैसे कठिनाइयों के कारण आवारा जानवरों को पालतू बनाने मेंलोग हिचकिचाते है। मालिकों के लिए वित्तीय मुद्दों, आवास की समस्याओं, परित्यागऔर पंजीकरण के लिए कानूनकार्यवाहीके कारण भी लोग जानवर पालने में घबराते है| बड़े आवारा जानवर विशेष रूप से गायें एवं सांड़ अधिक चुनौतियों का सामना करती हैं। इनमें से अधिकांश गायें अवैध या अपंजीकृत डेयरियों और मवेशियों के शेड के मालिकों द्वारा छोड़ दी जाती है।पशु की प्रजनन क्षमता का नुकसान, बुढ़ापा, दूध उत्पादन की समाप्ति, खूंखारपन बर्दाश्त करने में असमर्थता के कारण मालिकों द्वारा छोड़ दिए जाते हैं।
उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में भी आवारा पशुओं की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है|शहर में आवारा पशुओं की गिनती लगातार बढ़ती जा रही है। झुंड के रुप में आवारा जानवर शहर की सड़कों में आम घूमते नजर आ जाते हैं। जिस वजह से लोगों के काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क पर गुजरने वाले बड़े वाहनों की चपेट में आने से पशु कई बार चोटिल भी हो जाते हैं।जहां कि आवारा पशु न केवल यातायात में बड़े बाधक साबित हो रहे हैं बल्कि वहां की खैती के अब तक के सबसे बड़े बाधक तत्व बन गए हैं , और किसानों के सबसे बड़े सिरदर्द साबित हुए हैं।इन आवारा पशुओं के कारण पूरे देश में दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या , कोरोना कोविड-9 महामारी से मरने वालों की संख्या से भी बहुत ज्यादा है।भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम् आंकड़ों के अनुसार देश में सड़क दुर्घटनाओं में वर्ष 2018 में 1,51,471 लोग मारे गए, जबकि 2017 में 1,47,913 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए थे, और इनमें 70% से अधिक दुर्घटनाएं सड़क पर अचानक अथवा पूर्व से आए पशुओं के कारण होती है।लगभग 58% सड़क दुर्घटनाएं, पशुओं (कुत्ते, मवेशी (25.4%) आदि ) के कारण होती हैं|
सामाजिक एवं राजनितिक रूप से आवारा पशुओं का मुद्दा आज के समय बहुत बड़ी बहस का हिस्सा हो गया है। लेकिन इसके निवारण के लिए आज तक किसी संगठन एवं किसी सरकार ने कोई प्रभावी कदम नही उठाया है। सरकार को चाहिए कि वह इसे सिर्फ चुनावी मुद्दा ना बनाकर इस समस्या को गंभीरता से ले तथा कुछ जरूरी उपाय जैसे- अनाधिकृत डेयरी फार्मों को बंद करना, बड़ी गौशालाओं की स्थापना करना, मवेशी मालिक जो अपने मवेशियों को शहर की सड़कों पर स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देते हैंउन पर उचित जुर्माना लगाया जानाकुत्तों जैसे आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए नगर निगम को पशु पकड़ने वाले दस्ते को नियुक्त करना| पालतू जानवरों के स्वामित्व, आवारा जानवरों की आबादी नियंत्रण, पशु व्यापार और कचरा प्रबंधन आदि को नियमित करना| पशु स्वास्थ्य कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना| बड़े पैमाने पर पशु मुख्यतः नियंत्रण कार्यक्रमों को लागू किया जाना|