उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग भर्ती परीक्षा का मामला इन दिनों चर्चाओं में है. अब 2015 में हुई पुलिस दारोगा भर्ती भी जांच के दायरे में आ गई है. 2015 में हुई दरोगा की भर्ती की जांच में 30 से 35 दरोगाओं की नौकरी पर संकट आ सकता है. एसटीएफ (STF) की ओर से की जा रही जांच में आरोपी ने कई खुलासे किए हैं.
देहरादून: 2015 पुलिस दारोगा भर्ती में गड़बड़ी की आशंका के चलते विजिलेंस को जांच के आदेश दिए हैं. गृह विभाग से इस भर्ती को लेकर जांच के आदेश होते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है. इससे पहले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission) पेपर लीक मामले में एसटीएफ की जांच के दौरान भी कुछ ऐसे तथ्य सामने आए, जिसमें इस पुलिस दारोगा भर्ती में गड़बड़ी की बातें सामने आई हैं.
विजिलेंस की ओर से की जा रही 2015 में हुई दरोगा की भर्ती की जांच में 30 से 35 दरोगाओं की नौकरी पर संकट आ सकता है. एसटीएफ (STF) की ओर से की जा रही जांच में गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय (Govind Ballabh Pant University) के सेवानिवृत्त अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद गड़बड़ी का शक और भी गहरा गया है. बताया जा रहा है कि गिरफ्तार AEO दिनेश चंद ने पूछताछ में दरोगा भर्ती मामले में बड़े इनपुट्स उपलब्ध कराए हैं.
2015 में कांग्रेस की सरकार में 339 पदों पर डायरेक्ट सब- इंस्पेक्टर की भर्ती हुई थी. जिस की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी. लेकिन STF उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के प्रकरण की जांच कर रही है. जब जीबी पंत विश्वविद्यालय के पूर्व असिस्टेंट ऑफिसर दिनेश चंद्र को गिरफ्तार किया तो उन्होंने कई साक्ष्य और गड़बड़ी होने तक की बात कही है. आरोपित दिनेश चंद्र 2006 से 2016 तक विश्वविद्यालय की परीक्षा सेल में तैनात रहा है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से उन सभी भर्तियों की जांच कराई जा रही है, जो विवादों में रही है. हालांकि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने शासन को पत्र भेजकर दरोगा भर्ती में लगे घपले के आरोप में की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की सिफारिश की थी. जिसको शासन ने मंजूर करते हुए विजिलेंस को जांच सौंप दी थी.