Uttarakhand News 06 July 2024: यूसीसी पोर्टल पर विवाह, तलाक, लिव इन रिलेशन से संबंधित पंजीकरण के अलावा सभी तरह की वसीयत करने की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है, जिसकी नियमावली और तकनीकी पक्ष पर विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है।

उत्तराखंड में अक्तूबर से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद वसीयत (विल) भी ऑनलाइन रजिस्टर्ड होने लगेगी। इसके बाद आम लोगों को अपनी संपत्ति की वसीयत कराने के लिए वकीलों या रजिस्ट्रार कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे, न ही हजारों रुपये वकील की फीस चुकानी पड़ेगी।

यूसीसी के वेब पोर्टल पर ऑनलाइन वसीयत बड़ी आसानी से रजिस्टर्ड होगा जिस पर कोई अतिरिक्त फीस भी नहीं लगेगा। यूसीसी नियमावली लागू करने के लिए जिस वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लीकेशन को तैयार किया जा रहा है उस पर ऑनलाइन वसीयत रजिस्टर्ड करने की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है।

इसकी नियमावली बना रही समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि यूसीसी पोर्टल पर विवाह, तलाक, लिव इन रिलेशन से संबंधित पंजीकरण के अलावा सभी तरह की वसीयत करने की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है, जिसकी नियमावली और तकनीकी पक्ष पर विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है।

वसीयत की भूमिका अहम हो जाएगी
यूसीसी लागू होने के बाद पिता की स्वयं अर्जित संपत्ति में बेटियों को बेटों के समान ही अधिकार सुनिश्चित करने की व्यवस्था है। इसे उत्तराखंड में लागू करने के लिए विशेष समिति द्वारा नियमावली बन रही है जिसे पोर्टल के जरिए ऑनलाइन प्रक्रिया से सरल (यूजर फ्रैंडली) भी बनाया जा रहा है। अभी तक पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार को लेकर विभिन्न धर्मों में अलग-अलग व्यवस्था है।

यूसीसी लागू होने के बाद अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ समाप्त हो जाएंगे। ऐसे में वसीयत की भूमिका अहम हो जाएगी, ये एक ऐसा कानूनी विकल्प होगा। जिसके जरिए महिला या पुरुष अपनी खुद से अर्जित संपत्ति को अपनी इच्छा अनुसार किसी के नाम करने या वितरित करने की इच्छा पोर्टल पर रजिस्टर्ड करवा सकते हैं। स्पष्ट कर दें कि इस प्रक्रिया से वसीयत को लेकर जितने भी प्रावधान हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं आएगा।

संपत्ति विवाद के मामलों में आएगी कमी

यूसीसी के बाद एक तरफ वसीयत कराने वालों की संख्या बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर संपत्ति विवाद के मामलों में कमी आने लगेगी, क्योंकि संपत्ति विवाद के ज्यादातर मुकदमों में उत्तराधिकार का मुद्दा होता है। मौजूदा समय में वसीयत कराने के लिए सब रजिस्ट्रार या एडीएम ऑफिस जाना होता है, उससे पहले वकीलों से परामर्श लेने और दस्तावेज तैयार कराने के लिए मोटी फीस देनी पड़ती है, जिस वजह से अधिकांश लोग सामान्य परिस्थितियों में वसीयत बनवाने से कतराते हैं।