Uttarakhand News 31 March 2025: Nainital is in Danger: सरोवर नगरी की घटती धारण क्षमता के बीच पर्यटक वाहनों का बढ़ता दबाव संकरी सड़कों व चौराहों पर जाम का कारण बन गया है।
आलम यह है कि शहर के चौराहे-मुख्य सड़कों के साथ ही संपर्क सड़कें तक वाहनों का दबाव झेल रही हैं। यहां तक कि यदि वाहनों के दबाव को कम नहीं किया गया तो इससे माल रोड सहित अन्य सड़कों पर भू धंसाव व दरारें आ सकती हैं।
पर्यटक विभाग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार शहर में मई-जून में पर्यटक वाहनों का दबाव बढ़ जाता है। इस बार तो लगातार पर्यटकों की आमद से मार्च में ही सीजन जैसी भीड़ उमड़ी। मई-जून में यहां करीब तीन लाख से अधिक पर्यटक पहुंचते हैं। पार्किंग की कमी के कारण माल रोड सहित अन्य सड़कों पर अक्सर वाहन पार्क होते हैं, जिससे दबाव और बढ़ता है।
चौड़ीकरण के बाद भी जाम से निजात नहीं
नैनीताल: सरोवर नगरी में जिला प्रशासन की ओर से तल्लीताल डांठ सहित मल्लीताल रिक्शा स्टेंड, मस्जिद तिराहा, हाई कोर्ट तिराहा का चौड़ीकरण किया गया, इससे इन तिराहों पर जाम कम हुआ है लेकिन नैनीताल क्लब से मोहन को से गोलधर तक सिंगल लेन पर अक्सर जाम लगता है। अंडा मार्केट में नाला पाटकर पार्किंग बनाई गई लेकिन अब पार्क वाहनों से वहां अक्सर जाम लग रहा है। चिड़ियाघर रोड, बिड़ला रोड, भवाली रोड, हल्द्वानी रोड में जाम जगजाहिर है।
प्राकृतिक जलस्रोतों पर अस्तित्व का संकट
नैनीताल: सरोवर नगरी में बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप का दुष्प्रभाव झील के साथ ही शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों पर भी पड़ा है। आलम यह है कि प्राकृतिक जलस्रोत सूखने या इन स्रोतों में पान की मात्रा कम होने से झील की बारिश पर निर्भरता बढ़ गयी है। झील में लगातार बढ़ती गाद समस्या को और गंभीर बना रही है।
ऐसे में विशेषज्ञों ने अब शहर के प्राकृतिक जलस्रोतों के पारंपरिक तरीके से रखरखाव करने की पुरजोर पैरवी की है। पालिका की ओर से 11 जलस्रोतों के जीर्णोद्धार के लिए जल संस्थान को एक साल पहले दिया था, अब बमुश्किल जल संस्थान निविदा प्रक्रिया पूरी कर सका है और अप्रैल पहले सप्ताह से काम शुरू कर रहा है। उधर झील में लगातार बढ़ती गाद समस्या को और गंभीर बना रही है।
झील के जलागम क्षेत्र में पाए जाने वाले प्राकृतिक स्रोत ना केवल भूगर्भीय संरचना तंत्र को मजबूत बनाते हैं बल्कि इन स्रोतों के उपयोग के बाद शेष जल से झील रिचार्ज होती है। 1872 के मानचित्र में सूखाताल क्षेत्र में आठ कुओं की जबकि इसी क्षेत्र में 1937 में सदानीरा चार कुओं की उपस्थित दर्ज है, इसके अलावा स्लीपी होलो में 1899 में प्राकृतिक स्रोत बताया गया है। परदाधारा, स्प्रिंग धारा व भाबर हाल के निकट प्राकृतिक स्रोत में गर्मी में केवल 25 प्रतिशत ही कमी होती है।
प्राकृतिक जलस्रोत हैं झील रिचार्ज के आधार
नैनीताल: शहर में परदाधारा मल्लीताल, सिपाही धारा रईस होटल के समीप, हल्द्वानी रोड में कटोर पानी धारा, कृष्णापुर धारा, मल्लीताल कोतवाली के पास, स्प्रिंग काटेज के पास मल्लीताल, तारा लॉज, चूनाधारा, अनामिका के पास, मिडलेक, स्टोनले कम्पाउंड आदि में प्राकृतिक जलस्रोत से बड़ी आबादी प्यास बुझाती है।
बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप, अतिक्रमण आदि की वजह से भाबर हाल कम्पाउंड, एटीआइ के पास, पालिका इंटर कालेज के समीप, विलायत काटेज के बगल में, मेट्रोपोल होटल परिसर में प्राकृतिक जलस्रोत अस्तित्वहीन या समाप्तप्राय हो चुके हैं। जिन स्रोतों में पानी की मात्रा भरपूर हैं, वहां भी देखरेख नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार शहर की परिधि में 22 प्राकृतिक जलस्रोत हैं, जिनका संरक्षण जरूरी है। यदि इनका संरक्षण नहीं किया गया तो इसका सीधा प्रभाव पर्यटन पर पड़ेगा।
शहर में वाहनों का दबाव कम करना होगा। इसके लिए शहर से बाहर से शटल सेवा से पर्यटकों के आवागमन की स्थायी व्यवस्था बनानी होगी। शहर के इर्दगिर्द 22 प्राकृतिक जलधारा-नौले हैं। इन जलधाराओं के ओवरफ्लो होने से ही नैनी झील रिचार्ज होती है। झील में गाद की मात्रा बढ़ने से यह रेन वाटर सेड हो गई है, गाद एकत्रित होने से झील के प्राकृतिक स्रोतों में पानी की कमी हो गई है, या सूख गए हैं। झील के वर्षा संग्रहण होना सही नहीं है, ऐसे में झील में गाद ना जाए और स्रोतों का रखरखाव पारंपरिक तरीके से सुनिश्चित किया जाए। – डा. कपिल जोशी, पूर्व पीसीसीएफ, नैनीताल
शहर के 11 प्राकृतिक जलस्रोतों को पुर्नजीवित करने व संवारने को लेकर पालिका से बजट मिल गया है। विभागीय स्तर पर जीर्णोद्धार कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। ठेकेदार के साथ अनुबंध के बाद करीब दस दिन में कार्य शुरू कर दिया जाएगा। – रमेश गर्ब्याल, अधिशासी अभियंता जल संस्थान नैनीताल
शहर के प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण को लेकर पालिका गंभीर है। इन स्रोतों के आसपास सफाई चरणबद्ध तरीके से हो, इसकी कोशिश की जाएगी। प्राकृतिक जलस्रोतों ही झील के रिचार्ज सेंटर हैं। बड़ी आबादी की प्यास इन जलस्रोतों से ही बुझती है। झील संरक्षण के लिए जो भी संभव होगा, किया जाएगा। उधर शहर में पर्यटक वाहनों की आमद को नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञों के सुझावों पर अमल करना होगा। यह शहर के अस्तित्व के लिए जरूरी है। – डा. सरस्वती खेतवाल, पालिकाध्यक्ष, नैनीताल
शहर में प्राकृतिक जलस्रोतों की हालत दयनीय है। केवल जीर्णोद्धार से काम नहीं चलेगा, इनका रखरखाव भी हो। प्राकृतिक जलस्रोतों के आसपास पूजा सामग्री रखने की परंपरा है, जिसे बंदर-जानवर फैला देते हैं और आसपास गंदगी होती है। पालिका व स्वयंसेवी संगठनों को मिलकर काम करना होगा। शहर के पर्यटन स्थलों में वाहनों का दबाव कम करना होगा। – जय जोशी, संस्थापक ग्रीन आर्मी