Uttarakhand News 29 May 2024: विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अपर जिला जज अर्चना सागर की अदालत ने छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोपित को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा दोषी पर 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर एक महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। देहरादून में यह पहला मामला है।
देहरादून। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अपर जिला जज अर्चना सागर की अदालत ने छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोपित को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा दोषी पर 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर एक महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। देहरादून में यह पहला मामला है, जब पॉक्सो कोर्ट में किसी दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
राज्य की ओर से नियुक्त सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अल्पना थापा के अनुसार, एक व्यक्ति ने मसूरी कोतवाली में तहरीर दी थी कि दो मार्च 2021 को वह मजदूरी करके शाम साढ़े छह बजे घर आया तो पत्नी ने बताया कि उनकी छह साल की बच्ची के साथ मदन शाही निवासी नेपाल ने कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। इसके बाद बच्ची के काफी रक्तस्राव हुआ, जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस मामले में आरोपित के खिलाफ मसूरी कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया।
अदालत के समक्ष दिए बयान में पीड़िता की मां ने बताया कि वह भी मूल रूप से नेपाल के रहने वाले हैं। दो मार्च 2021 को उनके पति काम पर गए थे। इसी दौरान उनकी बेटी को आरोपित अपने कमरे में ले गया और दुष्कर्म किया। पीड़िता को लगातार रक्तस्राव हो रहा था। इसके बाद आरोपित खुद ही बच्ची को मसूरी के सिविल अस्पताल ले गया और बताया कि वह गिर गई थी, जिसके कारण उसे चोट आई है।
बच्ची की हालत गंभीर होने पर उसे देहरादून के निजी अस्पताल में रेफर किया गया। इमरजेंसी में चेकअप के बाद उसे आइसीयू में भर्ती किया गया। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 16 गवाह पेश किए गए, जिसमें आठ चिकित्सक शामिल रहे। वहीं, दोषी को सलाखों के पीछे पहुंचाने में मसूरी थाने के पैरोकार सुरजीत और कोर्ट मोहर्रिर रविंदर कोटियाल ने अहम भूमिका निभाई।
सजा के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि दोषी ने 12 साल से कम आयु की बालिका के साथ दुष्कर्म कर उसे गंभीर स्थिति तक पहुंचा दिया। इन परिस्थितियों में पीड़ित को पांच लाख रुपये प्रतिकर के रूप में दिलाया जाना न्यायोचित है। वहीं, मामले को गंभीर मानते हुए अदालत ने दोषी को दुष्कर्म, उसकी जान को जोखिम में डालने की धाराओं के तहत उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।