Uttarakhand News, 22 दिसंबर 2022: हाई कोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को कागजों पर नहीं, फील्ड में उतरकर काम करने की सख्त हिदायत दी है।
कोर्ट ने प्रदेश की सभी जिला पंचायतों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्होंने कूड़ा निस्तारण के क्या इंतजाम किए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने कहा कि वह प्रदेश को साफ सुथरा देखना चाहती है। इसलिए समाज को जागरूक करना जरूरी है।
सभी को करना होगा सहयोग:
अदालत ने अल्मोड़ा निवासी जितेन्द्र यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश जारी किए। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह सूबे को साफ सुथरा एवं प्लास्टिक कचरा रहित देखना चाहती है। इसके लिए सभी को सहयोग करना होगा। अदालत में सरकार की ओर से कुमाऊं मंडल एवं गढ़वाल मंडल के आयुक्त और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के सदस्य सचिव अदालत में पेश हुए।
प्लास्टिक पैकेजिंग कंपनियों को भी आदेश:
अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि राज्य में मौजूद प्लास्टिक पैकेजिंग कंपनियां विस्तारित उत्पादक उत्तरदायत्वि योजना (ईपीआर प्लान) केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड करें। सभी कंपनियां 15 दिन के अदंर प्रदेश पीसीबी में अपना पंजीकरण करा लें। प्रदेश की सीमा में बाहर से आने वाले वाहनों में पोर्टेबल डस्टबिन लगाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। राज्य सरकार इस आदेश का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करे। अदालत को अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करना होगा।
जहां तहां नहीं फेंक सकेंगे प्लास्टिक कचरा:
अदालत के इस फैसले को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्पष्ट है कि सूबे में बाहर से आने वाले पर्यटक अब प्रदेश के आसानी से प्लास्टिक कचरा नहीं फेंक पाएंगे। उन पर पुलिस एवं प्रशासन की नजर रहेगी। आदेश का पालन नहीं करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। अदालत ने कुमाऊं एवं गढ़वाल के आयुक्त को भी इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है।
कानून का नहीं हो रहा था पालन:
इससे पहले सुनवाई के दौरान कुमाऊं एवं गढ़वाल के आयुक्तों ने प्लास्टिक कचरे को लेकर अभी तक उठाए कदमों के बारे में अदालत को विस्तार से जानकारी दी। कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने अदालत को बताया कि कुमाऊं मंडल में 782 कचरा के ढ़ेर (वेस्ट स्पॉट) चिह्नित किए गए जिनमें से 500 को साफ कर दिया गया है। जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर प्रदेश में प्लास्टिक कचरे को लेकर नियमावली बनाई गई हैं लेकिन उसका पालन नहीं किया जा रहा है। जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं।
बाहर से आने वाले वाहनों में पोर्टेबल डस्टबिन लगाने की व्यवस्था की जाए:
राज्य सरकार को यह भी आदेश दिए हैं कि राज्य की सीमा में जितने भी वाहन बाहर से आते हैं, उनमें पोर्टेबल डस्टबिन लगाने की व्यवस्था की जाए। इसी क्रम में कंपनियों को आदेश दिए हैं कि जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में नहीं किया है वे 15 दिन के भीतर अपना पंजीकरण अवश्य करा लें।
कोर्ट ने साफ कहा कि यह अंतिम मौका दिया जा रहा है इसके बाद अवसर नहीं दिया जाएगा। सुनवाई के दौरान कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत व गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सुशांत पटनायक पेश हुए। अगली सुनवाई फरवरी दूसरे सप्ताह में होगी।