Uttarakhand News 17 Jan 2025: ब्रिटिश काल में नगर के कैचमेंट की सुरक्षा के लिए बनाए गए पांच दर्जन से अधिक नाले बसासत बढ़ने व सफाई की बेहतर व्यवस्था न होने से अभिशाप बन गए हैं। इनके माध्यम से कूड़ा व सीवर की गंदगी नैनीझील में जा रही है। हाईकोेर्ट ने भी इसका संज्ञान लेकर प्रशासन को निर्देशित किया था। अब यह मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) तक पहुंच गया है। एनजीटी ने कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को बतौर नोडल अधिकारी बनाकर केंद्रीय व राज्य बोर्ड को जांच के आदेश दिए हैं।
बता दें कि 1880 के भूस्खलन के बाद अंग्रेजी हुकूमत की ओर से कैचमेंट क्षेत्र को भूस्खलन से बचाने के लिए पांच दर्जन से अधिक नालों का निर्माण काराया। इनमें से लगभग 40 से अधिक नाले नैनीझील में खुलते हैं। बारिश का पानी इन नालों से होते हुए झील तक पहुंचता है। अब नैनीताल की आबादी बढ़कर 55 हजार से अधिक हो गई है, पीक सीजन में पर्यटकों की संख्या भी इतनी ही रहती है। बढ़ते मानवीय दबाव और बेहतर सफाई प्रबंधन के अभाव में नालों के जरिये गंदगी झील में पहुंच रही है। यही नहीं सीवर भी झील में गिर रहा है। हाईकोर्ट ने बरसात के दौरान मॉलरोड पर सीवर के मेन होल के ओवरफ्लों होने से गंदा पानी झील में जाने पर स्वत: संज्ञान लेकर अधिकारियों को दिशानिर्देश दिए थे।
अब आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत सिंह गौनिया की शिकायत पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने इसका संज्ञान लिया है। एनजीटी ने नैनीताल झील के गंभीर जल प्रदूषण की शिकायत पंजीकृत कर ली है। एनजीटी ने उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आयुक्त नैनीताल की एक संयुक्त समिति का गठन कर जांच के लिए कहा है।
कई स्तर पर र्की गई शिकायत, नतीजा शून्य
आरटीआई कार्यकर्ता समाजसेवी हेमंत सिंह गौनिया का कहना है कि दो वर्ष पूर्व यहां मेट्रोपोल, मस्जिद व मंदिर से होकर नैनीझील में जाने वाले नाले से झील में जा रही सीवर की गंदगी व कूड़े की शिकायत मुख्यमंत्री, राज्यपाल और प्रधानमंत्री कार्यालय तक की गई, जिलाधिकारी के निर्देश पर सिंचाई, प्राधिकरण, पालिका समेत अन्य विभागों की टीम गठित हुई, लेकिन इसका नतीजा कुछ नहीं निकाला। इसके बाद उन्होंने इन सभी पत्रों समेत आरटीआई का हवाला देकर एनजीटी में शिकायत की। एनजीटी की ओर से उन्हें मामला पंजीकृत होने समेत जांच के निर्देश बाबत पत्रावली भेजी है।