Uttarakhand News 18 June 2024: कई बार वन भूमि हस्तांतरण में देरी को लेकर वन विभाग पर भी सवाल उठते रहते हैं। पर हकीकत यह भी है कि करीब हर दिन विभिन्न विकास कार्यों के लिए डेढ़ हेक्टेयर वन भूमि दी जा रही है।
राज्य में हर दिन डेढ़ हेक्टेयर वन भूमि कम हो रही है। वर्ष 2021-2022 में सबसे अधिक 1138 हेक्टेयर वन भूमि का हस्तांतरण हुआ है। प्रदेश में विकास कार्यों के लिए हर साल लोक निर्माण विभाग, पेयजल समेत अन्य विभाग प्रस्ताव बनाते हैं, जिसके लिए वन भूमि की जरूरत होती है।
यह वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव प्रयोक्ता एजेंसी के कार्यालय से तैयार होकर डीएफओ कार्यालय नोडल अधिकारी वन भूमि हस्तांतरण से होते हुए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तक जाते हैं ,जहां से दो स्तर पर अनुमति मिलने के बाद वन भूमि मिलने का रास्ता साफ हो पाता है।
इस प्रक्रिया में कई शर्तों को पूरा करना होता है। कई बार वन भूमि हस्तांतरण में देरी को लेकर वन विभाग पर भी सवाल उठते रहते हैं। पर हकीकत यह भी है कि करीब हर दिन विभिन्न विकास कार्यों के लिए डेढ़ हेक्टेयर वन भूमि दी जा रही है। बीते पांच सालों में ढाई हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि हस्तांतरित हो चुकी है।
भूमि हस्तांतरण के साथ पेड़ों का कटान भी
वन भूमि हस्तांतरण के साथ वृक्षों के पातन की प्रक्रिया भी की जाती है। अगर एक हेक्टेयर (वन विभाग एक हेक्टेयर में एक हजार पौधे लगाता है) वन भूमि पर कम से कम 150 पेड़ों के काटे जाने का अनुमान भी लगाया जाए तो बीते पांच सालों में चार लाख से अधिक वृक्ष कम हुए होंगे।
वर्ष वन भूमि हस्तांतरण हेक्टेयर
2019-2020 177
2020-2021 1138
2021-2022 524
2022-2023 961
2023-2024 17.4
विकास कार्यों के लिए वन भूमि दी जाती है। इसके बदले में दो गुनी भूमि लेकर क्षतिपूरक वनीकरण करने समेत अन्य कार्य भी होते हैं। प्रयोक्ता एजेंसी से वन भूमि की नेट प्रेजेंट वैल्यू व क्षतिपूरक वनीकरण के लिए भी राशि ली जाती है।