Uttarakhand News 15 Feb 2025: Uttarakhand Economy: उत्तराखंड की आर्थिकी ने छलांग लगाई है। राज्य सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2024-25 में 3.78 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वहीं विकास दर 6.61 प्रतिशत रहने का अनुमान है। प्रति व्यक्ति वार्षिक आय भी 2.46 लाख से बढ़कर 2.74 लाख रुपये हो गई है। नियोजन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने पत्रकारवार्ता में यह जानकारी दी।

उत्तराखंड में नए वित्तीय वर्ष में आकार लेगा जीईपी प्रकोष्ठ
पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में पिछले दो वर्षों में पर्यावरण के चार मुख्य घटकों जंगल, हवा, मिट्टी व पानी की सेहत सुधरी या इसमें गिरावट आई, यह इस वर्ष जीईपी सूचकांक जारी होने पर पता चल सकेगा। इस सिलसिले में नए वित्तीय वर्ष में जीईपी प्रकोष्ठ आकार ले लेगा।

यह पर्यावरण निदेशालय के अंतर्गत गठित होगा या फिर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इसका निर्णय अगले सप्ताह होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में होगा। सूत्रों के अनुसार प्रकोष्ठ का गठन होने के बाद बाद वह राज्य का जीईपी सूचकांक निकालने के लिए कसरत में जुटेगा।

उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जो जीडीपी (ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट) के साथ जीईपी (ग्रास इन्वायरनमेंट प्रोडक्ट) का आकलन भी कर रहा है। पिछले वर्ष जुलाई में हेस्को (हिमालयन एन्वायरनमेंटल स्टडीज एंड कंजर्वेशन आर्गनाइजेशन) के सहयोग से राज्य ने पर्यावरण के चार प्रमुख घटकों हवा, मिट्टी, पानी व जंगल के सूचकांक के आधार पर राज्य का जीईपी सूचकांक जारी किया था।

इसमें वर्ष 2020 के आंकड़ों को केंद्र बिंदु मानते हुए वर्ष 2022 तक पारिस्थितिकी के संरक्षण को उठाए गए कदमों के आधार पर राज्य का जीईपी सूचकांक 0.95 प्रतिशत आंका गया था। तब इसी तरह प्रति दो वर्ष में राज्य का जीईपी सूचकांक जारी करने का निर्णय लिया गया। साथ ही इसके लिए जीईपी प्रकोष्ठ गठित करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए थे।

यही नहीं, जीईपी सूचकांक के आधार पर पर्यावरण के मुख्य घटकों के संरक्षण-संवर्द्धन को प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने पर विशेष रूप से जोर दिया गया था। अब इस सबके दृष्टिगत जीईपी प्रकोष्ठ के गठन को लेकर कसरत शुरू हो गई है। यद्यपि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पर्यावरण प्रकोष्ठ के तौर पर पहले से ही कार्य हो रहा है।

ऐसे में बोर्ड के अधीन जीईपी प्रकोष्ठ के गठन पर जोर दिया गया था, लेकिन यह राय भी उभरकर सामने आई कि यह विषय पर्यावरण निदेशालय को सौंपा जाना चाहिए। इस सबके चलते प्रकोष्ठ के गठन का मामला अटका हुआ था।

सूत्रों ने बताया कि अब अगले सप्ताह जीईपी प्रकोष्ठ के संबंध में शासन स्तर पर उच्च स्तरीय बैठक प्रस्तावित है। इसमें निर्णय लिया जाएगा कि यह प्रकोष्ठ किसके अधीन गठित किया जाएगा। फिर विशेषज्ञों व कार्मिकों की तैनाती कर प्रकोष्ठ अपना कार्य शुरू कर देगा।