Uttarakhand News 9 Jan 2023: अगर आप शराब पीने के शौकीन हैं तो अलर्ट हो जाएं, क्योंकि WHO ने अपनी स्टडी में चौंकाने वाला दावा किया है. WHO ने कहा है कि शराब की पहली बूंद का सेवन करने से ही कैंसर का खतरा शुरू हो जाता है. साथ ही कहा कि शराब पीने का ऐसा कोई भी पैमाना नहीं है, जिससे ये मान लिया जाए कि इतनी मात्रा में अल्कोहल पीना सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं है|
WHO का दावा:
WHO ने अपनी स्टडी में दावा किया है कि इथेनॉल (अल्कोहल) जैविक तंत्र के माध्यम से कैंसर की वजह बनता है. मतलब साफ है कि शराब कितनी ही महंगी क्यों न हो या फिर वह भले ही कम मात्रा में पी जाए, कैंसर का खतरा पैदा करती है. स्टडी में कहा गया है कि अधिक शराब का सेवन करने से कैंसर होने का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है.
नए आंकड़े बताते हैं कि यूरोपीय क्षेत्र में कैंसर के कारणों की वजह सिर्फ अल्कोहल है. इसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कम मात्रा में अल्कोहल का सेवन किया था. इतना ही नहीं, शराब की शौकीन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या देखी गई है. इसमें सिर्फ अल्कोहल जिम्मेदार है. साथ ही यूरोपीय यूनियन में की गई स्टडी ये खुलासा करती है कि वहां मौत की बड़ी वजह कैंसर है|
शराब की सबसे ज्यादा खपत के आंकड़ों पर गौर करें तो यूरोपीय क्षेत्र में लोग काफी शराब पीते हैं. इस क्षेत्र में 200 मिलियन से अधिक लोगों को शराब के कारण कैंसर होने का खतरा है. ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो यह दावा करे कि शराब के कम सेवन से कैंसर के जोखिम को कम होते हैं. जब हम शराब की खपत के संभावित तथाकथित सुरक्षित स्तर के बारे में बात करते हैं, तो हम अपने क्षेत्र और दुनिया में शराब के नुकसान की बड़ी तस्वीर को अनदेखा कर रहे होते हैं. हालांकि यह पूरी तरह से साबित हो चुका है कि शराब कैंसर का कारण बन सकती है. हालांकि अभी तक यह फैक्ट अधिकांश देशों के लोगों का मालूम ही नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें तम्बाकू से बने उत्पादों के बाद अब शराब के बोतल पर भी कैंसर से संबंधित मैसेज देने की जरूरत है|
स्टडी में कहा गया है :
अल्कोहल (Alcohol) का सेवन करने से कम से कम 7 प्रकार के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसमें माउथ कैंसर, थ्रोट कैंसर, लिवर कैंसर, ऐसोफैगस कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, कोलन कैंसर शामिल हैं. दरअसल, शराब कोई सामान्य पेय पदार्थ नहीं है, बल्कि यह शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती है. अल्कोहल एक ऐसा विषैला पदार्थ है. इसे दशकों पहले इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर की ओर से समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया था. यह सबसे ज्यादा जोखिम भरा है. इसमें एस्बेस्टस और तंबाकू भी शामिल हैं|